बेरोजगारी, आर्थिक मंदी ने बढ़ाई मोदी सरकार की टेंशन, बनाई दो कैबिनेट कमेटियां

Edited By shukdev,Updated: 06 Jun, 2019 05:35 AM

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लोकसभा चुनाव में शानदार जीत से दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार और निवेश को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार 2.0 रोजगार और निवेश को लेकर कैबिनेट कमेटियों का गठन करेगी। इस कमेटी में प्रधानमंत्री मोदी,...

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में शानदार जीत से दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार और निवेश को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार 2.0 रोजगार और निवेश को लेकर कैबिनेट कमेटियों का गठन करेगी। इस कमेटी में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और रेलमंत्री पीयूष गोयल के अलावा केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री शामिल होंगे। ये कमेटियां प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक विकास को गति देने, निवेश का माहौल बेहतर करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने के तरीके सुझाएंगी। 

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पहली समिति में पांच केंद्रीय मंत्री शामिल 

निवेश और विकास पर बनी पांच सदस्यीय कैबिनेट कमिटी में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा एमएसएमई मिनिस्टर नितिन गडकरी के साथ-साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं। 

दूसरी समिति में ये 10 केंद्रीय मंत्री
वहीं, रोजगार एवं कौशल विकास पर कैबिनेट कमिटी में चेयरमैन समेत 10 सदस्य हैं। शाह, सीतारमण और गोयल को इस समिति में भी शामिल किया गया है। इनके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास एवं आंट्रप्रन्योरशिप मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के साथ-साथ श्रम राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार एवं आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस समिति के सदस्य हैं। 

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आर्थिक सुस्ती ने निपटना बड़ी चुनौती
गौरतलब है कि केंद्र में गठित नई सरकार के सामने अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ गिरा। वहीं, पूरे वित्त वर्ष की आर्थिक विकास दर 6.8 प्रतिशत पर गिर गया है जो पिछले पांच साल का निचला स्तर है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 7.2 प्रतिशत के जीडीपी ग्रोथ रेट का लक्ष्य रखा गया था जो 0.04% से पिछड़ गया। 

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बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे ज्यादा

इसी तरह, रोजगार सृजन को लेकर आए आंकड़ों ने भी सरकार को चिंता में डाला है। 30 मई को मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही पेरयॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) ऐनुअल रिपोर्ट (जुलाई 2017 से जुलाई 2018) जारी किया गया। सरकार की ओर से जारी इस रिपोर्ट में देश में 6.1 प्रतिशत बोरोजगारी दर होने की बात कही गई जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है। 

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