Edited By Anil dev,Updated: 04 Jul, 2019 02:11 PM
विद्यालयों में दिव्यांग लड़कियों की संख्या दिव्यांग लड़कों से कम है। यही नहीं स्कूली शिक्षा के हर स्तर पर नामांकित बच्चों के स्कूल छोडऩे की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। यूनेस्को की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
नई दिल्ली: विद्यालयों में दिव्यांग लड़कियों की संख्या दिव्यांग लड़कों से कम है। यही नहीं स्कूली शिक्षा के हर स्तर पर नामांकित बच्चों के स्कूल छोडऩे की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। यूनेस्को की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल तक के दिव्यांग बच्चों में तीन चौथाई बच्चे और पांच से 19 साल तक के ऐसे बच्चों में एक चौथाई बच्चे किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाते।
2019 की स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: चिल्ड्रेन विद डिसएबैलिटी' नामक इस रिपोर्ट में 2011 की जनगणना का संज्ञान लिया है जिसके अनुसार भारत में 78,64,636 दिव्यांग बच्चे हैं जो देश की कुल बाल जनसंख्या का 1.7 फीसद है। रिपोर्ट में दिव्यांग बच्चों के शिक्षा के अधिकार के संदर्भ में उपलब्धियों और चुनौतियों का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है, स्कूली शिक्षा के हर स्तर पर विद्यालयों में नामांकित बच्चों के स्कूल छोडऩे की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है। विद्यालयों में दिव्यांग लड़कों की तुलना में दिव्यांग लड़कियां कम हैं। उसमें कहा गया है, एक के बाद एक आयी सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से बड़ी संख्या में दिव्यांग बच्चे विद्यालयों में तो पहुंचे लेकिन अब भी बहुत फासले हैं।
उसके अनुसार पांच से 19 साल तक के महज 61 फीसद दिव्यांग बच्चे ही शैक्षणिक संस्थानों में जा रहे हैं जबकि सभी बच्चों का यह आंकड़ा 71 फीसद है। यूनेस्को रिपोर्ट के मुताबिक दिव्यांग बच्चों को मुख्य धारा की शिक्षा में शामिल करने के प्रति अभिभावकों और अध्यापकों का दृष्टि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अहम है। भौतिक अवसंरचना, विद्यालय में प्रक्रियागत बातें,सहयोगपरक सूचना एवं दूरसंचार प्रौद्योगिकी आदि अन्य अहम कारक हैं।