रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत से वापस भेजने की कोशिशों की 'UNHRC' ने की निंदा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 09:03 PM

unhrc told to send rohingya muslims back

ऐसे वक्त में जब रोहिंग्या अपने देश में हिंसा का शिकार हो रहे हैं, उस समय भारत की ओर से उन्हें वापस भेजने की कोशिशों की मैं निंदा करता हूं

नई दिल्लीः देश में आए रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजने की भारत सरकार की कोशिशों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने गलत ठहराया है। मानवाधिकार परिषद के प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने कहा कि ऐसे वक्त में जब रोहिंग्या अपने देश में हिंसा का शिकार हो रहे हैं, उस समय भारत की ओर से उन्हें वापस भेजने की कोशिशों की मैं निंदा करता हूं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए हुसैन ने पहले 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले की बरसी का उल्लेख किया और फिर म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की। 

उन्होंने कहा कि करीब 40 हजार रोहिंग्या भारत में आकर बसे हैं। इनमें से 16 हजार के पास शरणार्थी के तौर पर दस्तावेज हैं। भारत को अंतरराष्ट्रीय कानूनों से बंधे होने की याद दिलाते हुए हुसैन ने कहा, 'भारत इस तरह से सामूहिक तौर पर किसी को निष्कासित नहीं कर सकता।

वह लोगों को ऐसे स्थान पर लौटने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, जहां उनके उत्पीड़न और अन्य तरीकों से सताए जाने का खतरा है।' उन्होंने कहा कि म्यांमार ने मानवाधिकार जांचकर्ताओं को जाने की इजाजत नहीं दी है। ऐसे में मौजूदा स्थिति का पूरी तरह से आकलन नहीं किया जा सकता लेकिन यह स्थिति नस्लीय सफाये का उदाहरण लग रही है।

इस दौरान जैद राद अल हुसैन ने बुरुंडी, वेनेजुएला, यमन, लीबिया और अमेरिका में मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं के बारे में बात की। जैद ने कहा कि हिंसा की वजह से म्यांमार से 270,000 लोग भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंचे हैं। उन्होंने सुरक्षा बलों और स्थानीय मिलीशिया द्वारा रोहिंग्या लोगों के गांवों को जलाए जाने और न्याय से इतर हत्याएं किए जाने की खबरों और तस्वीरों का भी उल्लेख किया। 

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