Edited By Rahul Singh,Updated: 04 Aug, 2024 10:06 AM
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार मानव अंगों के हवाई, सड़क, रेलवे और जलमार्ग के जरिए परिवहन के लिए गाइडलाइन्स (दिशानिर्देश) जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश अंग प्रत्यारोपण से जुड़े सभी कार्यों में शामिल लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार मानव अंगों के हवाई, सड़क, रेलवे और जलमार्ग के जरिए परिवहन के लिए गाइडलाइन्स (दिशानिर्देश) जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश अंग प्रत्यारोपण से जुड़े सभी कार्यों में शामिल लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने इस नई पहल के बारे में बताते हुए कहा, “हम अंगों के ट्रांसपोर्टेशन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके कीमती अंगों के उपयोग को अधिकतम करने और जीवन-रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों को नई आशा देने का लक्ष्य रखते हैं। ये दिशानिर्देश अंग पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण संस्थानों के लिए गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप हैं।” जब अंग दाता और अंग प्राप्तकर्ता अलग-अलग अस्पतालों में होते हैं, चाहे एक ही शहर में हों या अलग-अलग शहरों में, तो अंगों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए ये दिशानिर्देश आवश्यक हैं।
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हवाई परिवहन के दिशानिर्देश:
- एयरलाइंस मानव अंगों के परिवहन के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल से प्राथमिक टेक-ऑफ और लैंडिंग की अपील कर सकती है और आगे की सीटें रिजर्व करवा सकती है।
- डॉक्टर्स के लिए प्राथमिकता रिजर्वेशन और लेट चेक-इन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
- फ्लाइट कैप्टन को अंगों के परिवहन की जानकारी देने की अनुमति होगी।
ग्रीन कॉरिडोर:
एम्बुलेंस और अन्य वाहनों द्वारा अंगों के परिवहन के लिए 'ग्रीन कॉरिडोर' की व्यवस्था की जाएगी। पुलिस विभाग से नोडल अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा जो ग्रीन कॉरिडोर से संबंधित मुद्दों को संभालेगा।
मेट्रो परिवहन के दिशानिर्देश:
- मेट्रो सुरक्षा स्टाफ को अंग बॉक्स के साथ क्लिनिकल टीम को मेट्रो स्टेशन पर चढ़ने तक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।
- मेट्रो में अंग बॉक्स के लिए आवश्यक स्थान की व्यवस्था की जाएगी और सुरक्षा जांच में कोई देरी न हो, इसके लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे।
सड़क, रेल और जलमार्ग के माध्यम से अंगों के परिवहन के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जो आवश्यक प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं को स्पष्ट करते हैं। इन दिशानिर्देशों को NITI Aayog, संबंधित मंत्रालयों और प्रत्यारोपण विशेषज्ञों के परामर्श से विकसित किया गया है।