बारात लेकर दुल्हन लेने आया मुर्गा, कबूतर और बतख भी बने बाराती

Edited By vasudha,Updated: 06 May, 2018 04:51 PM

unique marriege of cock in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला इन दिनों एक अनोखी शादी का गवाह बना। राज्य के दक्षिण हिस्से के इस जिले में कड़कनाथ मुर्गा और मुर्गी की शादी धूमधाम से करवाई गई...

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला इन दिनों एक अनोखी शादी का गवाह बना। राज्य के दक्षिण हिस्से के इस जिले में कड़कनाथ मुर्गा और मुर्गी की शादी धूमधाम से करवाई गई। छत्तीसगढ़ के जंगली इलाके दंतेवाड़ा में निवास करने वाले तोता, मैना, कबूतर, गौरैया और बतख हल्बी बोली में अपने बड़े भाई कालिया कड़कनाथ मुर्गा की शादी में आने का निमंत्रण दिया। लुदरू नाग के बेटे हीरानार निवासी कालिया की शादी छह किलोमीटर दूर सुकालू राम की बेटी सुंदरी कड़कनाथ मुर्गी से हुई।
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शादी की रस्म 3 मई से ही शुरू हो गई थी। पहले दिन मण्डपाछादन का कार्यक्रम हुआ और दूसरे दिन तेल और मातृकापूजन हुआ। वहीं शनिवार की शाम कालिया की बारात निकली। बारात में क्षेत्र के आदिवासी किसान, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और कई गण्यमान्य लोग शामिल हुए। बारात जब सुंदरी के घर पहुंची तब कालिया और उसके संबंधियों का स्वागत किया गया और धूमधाम से शादी की रस्में पूरी हुईं। आदिवासी परंपराओं से हुई इस शादी के बाद सुंदरी कालिया की हो गई। रविवार को आशीर्वाद समारोह और प्रीतिभोज का कार्यक्रम रखा गया।
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चार दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में लगभग पांच हजार लोग शामिल हुए। काला मुर्गा या कालामासी नाम से प्रसिद्ध इस मुर्गे को क्षेत्र के आदिवासी वर्षों से पाल रहे थे लेकिन पिछले कुछ समय से यह विलुप्त हो गया था। क्षेत्र के आदिवासियों की अपनी पंरपरा है और यह प्रकृति पूजक लोग अपने प्रत्येक त्योहार में प्रकृति और जीवों को शामिल करते हैं। वह कहते हैं कि बस्तर क्षेत्र में आने वाले लोग कड़कनाथ मुर्गे की मांग जरूर करते हैं लेकिन इसकी संख्या कम होने के कारण यह लोगों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से कड़कनाथ कुक्कुट पालन का व्यवसाय शुरू किया गया और यहां के आदिवासियों के जीवन में बदलाव आना शुरू हो गया। PunjabKesari

क्षेत्र में जैविक कृषि करने वाले नाग कहते हैं कि यह शादी आदिवासी परंपरा से हो रही है और वह सभी रस्में निभाई जा रही हैं। इसमें मुर्गे मुर्गी को तेल, हल्दी चढ़ाई गई और उन्हें खाने में तरह तरह के व्यंजन दिए गए। इस शादी का एक कारण यह भी है कि इससे अन्य आदिवासी प्रेरणा लें तथा वह भी कुक्कुट पालन की ओर आगे बढ़ें। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन में सुधार लाने के लिए कड़कनाथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि आदिवासी इसे उत्सव के रूप में मनाने की कोशिश कर रहे हैं और शादी से बेहतर उत्सव क्या हो सकता है। 

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