Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Jan, 2020 09:28 AM
पिछले कुछ समय से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) व अन्य मुद्दों पर विश्वविद्यालयों में छात्रों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस बीच चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल ईंट और गारे की दीवारें नहीं हैं। निश्चित रूप से...
नई दिल्ली/नागपुर: पिछले कुछ समय से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) व अन्य मुद्दों पर विश्वविद्यालयों में छात्रों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस बीच चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल ईंट और गारे की दीवारें नहीं हैं। निश्चित रूप से विश्वविद्यालयों को असैंबली लाइन प्रोडक्शन यूनिट की तरह काम नहीं करना चाहिए। अरविंद बोबडे ने कहा कि नागरिकता सिर्फ लोगों के अधिकारों के बारे में ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनके कर्त्तव्यों के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षण संस्थान बेहद वाणिज्यिक मानसिकता के हो गए हैं, जबकि शिक्षा का असली उद्देश्य मेधा और चरित्र का विकास करना है।
दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से सड़क खाली कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को इसमें दखल देने और कानून के अनुसार सड़क खाली कराने के आदेश दिए थे जिससे कालिंदी कुंज में रोड ब्लॉक खत्म किया जा सके। दिल्ली पुलिस ने 2 दिन शाहीन बाग जाकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों से सड़क खाली करने की अपील की लेकिन इसका कोई असर प्रदर्शनकारियोंं पर नहीं पड़ा।