UN में भारत का पाक पर निशाना, कहा- आतंकी घोषित करने के लिए UNSC का न हो दुरुपयोग

Edited By Tanuja,Updated: 08 Oct, 2020 04:12 PM

unsc should not be misused intent  to innocent civilians as terrorists

भारत ने चार भारतीय नागरिकों को ‘1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति'' के तहत सूचीबद्ध कराने की पाकिस्तान की असफल कोशिश का जिक्र करते हुए ...

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने चार भारतीय नागरिकों को ‘1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति' के तहत सूचीबद्ध कराने की पाकिस्तान की असफल कोशिश का जिक्र करते हुए कहा कि देशों को ‘‘बदला लेने के इरादे से निर्दोष आम नागरिकों को'' अपारदर्शी कार्य पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं को लागू करके बिना किसी विश्वसनीय सबूत के ‘‘आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध'' कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। पाकिस्तान ने आतंकवादी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद की ‘1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति' को भारतीय नागरिकों अंगारा अप्पाजी, गोबिंद पटनायक, अजय मिस्त्री और वेणुमाधव डोंगरा के नाम भेजे थे।

 

परिषद में अप्पाजी और पटनायक को आतंकवादी घोषित करने के पाकिस्तान के प्रयास को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और बेल्जियम ने पिछले माह विफल कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इन दो व्यक्तियों का नाम आंकवादियों की सूची में जोड़ने की अपनी मांग के समर्थन में पाकिस्तान ने कोई सबूत नहीं भेजा था। इससे पहले, जून/जुलाई में अजय मिस्त्री और वेणुमाधव डोंगरा के नाम सूची में शामिल करने का पाकिस्तान का प्रयास भी परिषद में नाकाम रहा था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव एवं कानूनी सलाहकार येदला उमाशंकर ने ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खात्मे के लिए कदम' पर संयुक्त राष्ट्र सभा की छठी समिति में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने और आतंकवाद से निपटने के लिए एक प्रभावी मंच बना हुआ है।''

 

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देश ‘बदला लेने के इरादे से निर्दोष आम नागरिकों को अपारदर्शी कार्य पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं को लागू करके बिना किसी विश्वसनीय सबूत के आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दुरुपयोग नहीं करें।'' उमाशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘भारत सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का पीड़ित रहा है। हमने अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध और आतंकवाद के कठोर संबंध को झेला है।'' उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी प्रारूपों की निंदा करता है और सरकारों द्वारा प्रायोजित सीमा पार के आतंकवाद समेत किसी भी आतंकवादी गतिविधि को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

 

उमाशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल आतंकवादियों को खत्म करने और आतंकवादी संगठनों/नेटवर्कों को बाधित करने की ही कोशिश नहीं की जानी चाहिए, बल्कि आतंकवाद को बढ़ावा, समर्थन एवं वित्तीय मदद देने वाले आतंकवादियों एवं आतंकवादी समूहों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने, सदस्य देशों के बीच वार्ता बढ़ाने और समझ विकसित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र की आवश्यकता है।'' उमाशंकर ने ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि' (सीसीआईटी) के मसौदे को शीघ्र अंतिम रूप दिए जाने की महत्ता एवं जरूरत को भी रेखांकित किया।  

 

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