यूपी के लव-जिहाद अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिकाकर्ता ने दी यह दलील

Edited By Yaspal,Updated: 03 Dec, 2020 06:24 PM

up s love jihad ordinance challenged in supreme court petitioner argues

यूपी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दो वकीलों और एक कानून शोधकर्ता ने इस मामले में याचिका दाखिल की है, याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा और...

नेशनल डेस्कः यूपी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दो वकीलों और एक कानून शोधकर्ता ने इस मामले में याचिका दाखिल की है, याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा और अराजकता पैदा करेगा। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से अध्यादेशों को अवैध और असंवैधानिक करार देने की मांग की है। दायर याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश संविधान के तहत मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं। यह किसी व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपने जीवन साथी का चयन करे और सरकार नागरिकों के इन अधिकारों के खिलाफ काम नहीं कर सकती है।

गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान ऐलान किया था कि प्रदेश में लव-जिहाद को लेकर एक कानून लाया जाएगा। यूपी की कैबिनेट ने 24 नवंबर को ‘गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक’ को मंजूरी दे दी।

यूपी सरकार का कहना है कि इस कानून को मकसद महिलाओं को सुरक्षा देना है। इसके तहत लालच, झूठ बोलकर या जोर जबरदस्ती किए गए धर्म परिवर्तन या शादी के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा। नाबालिग, अनुसूचित जाति जनजाति की महिला के धर्मपरिवर्तन पर कड़ी सजा होगी। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वाले सामाजिक संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी। धर्म परिवर्तन के साथ अंतर धार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नही तोड़ा, इसके साथ ही लडक़ी का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नही माना जाएगा। ज़बरदस्ती प्रलोभन से किया गया धर्म परिवर्तन संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा।

इस कानून को तोड़ने पर कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा होगी। यही काम नाबालिग या अनुसूचित जाति या जनजाति की लड़की के साथ करने में कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना और 3 से दस साल तक की सज़ा होगी। गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन में कम से कम पचास हज़ार रुपये जुर्माना और तीन से दस साल तक की सजा होगी। धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले डीएम को देना होगा, इसे न मानने पर छह महीने से तीन साल की सजा और कम से कम दस हजार रुपये जुर्माना होगा।

 

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