Edited By Rahul Rana,Updated: 08 Dec, 2024 02:23 PM
शनिवार को जारी एक शोध पत्र में कहा गया है कि 2016 में लॉन्च होने के बाद से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुंच को व्यापक रूप से बदल दिया है। इसके चलते अब 300 मिलियन लोग और 50 मिलियन व्यापारी आसानी से डिजिटल...
नेशनल डेस्क। शनिवार को जारी एक शोध पत्र में कहा गया है कि 2016 में लॉन्च होने के बाद से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुंच को व्यापक रूप से बदल दिया है। इसके चलते अब 300 मिलियन लोग और 50 मिलियन व्यापारी आसानी से डिजिटल लेनदेन कर पा रहे हैं। 2023 के अक्टूबर तक भारत में सभी खुदरा डिजिटल भुगतानों में से 75% यूपीआई के माध्यम से किए गए थे।
यह शोध भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और भारतीय स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) के प्रोफेसरों द्वारा तैयार किया गया था। इस शोध पत्र में कहा गया है, "कम समय में यूपीआई ने देश भर में डिजिटल भुगतान को तेजी से बढ़ावा दिया है और इसका उपयोग सड़क किनारे के छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल तक किया जा रहा है।"
UPI से वंचित समूहों को मिला औपचारिक ऋण
शोध में यह भी बताया गया कि यूपीआई ने उन वंचित समूहों जैसे कि सबप्राइम उधारकर्ता और नए-से-क्रेडिट उधारकर्ता को पहली बार औपचारिक ऋण प्राप्त करने का अवसर दिया है। शोध के अनुसार "जिन क्षेत्रों में यूपीआई का अधिक उपयोग हुआ वहां नए-से-क्रेडिट उधारकर्ताओं को 4% और सबप्राइम उधारकर्ताओं को 8% की वृद्धि हुई है।" इसके अलावा फिनटेक ऋण का औसत आकार 27,778 रुपये था जो ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक खर्च का लगभग सात गुना है।
फिनटेक कंपनियों की बढ़ती भूमिका
शोध में यह भी बताया गया कि फिनटेक ऋणदाताओं ने तेजी से अपना विस्तार किया है। इन कंपनियों ने ऋणों की मात्रा में 77 गुना वृद्धि की है और छोटे व वंचित उधारकर्ताओं को ऋण देने के मामले में पारंपरिक बैंकों से आगे निकल गए हैं।
सस्ती इंटरनेट सेवा का प्रभाव
UPI को तेजी से अपनाए जाने का एक प्रमुख कारण देश में सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता है। शोध में कहा गया है, "डिजिटल प्रौद्योगिकी की सामर्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यूपीआई को आसानी से अपनाया जा सका।"
UPI का ऋण वृद्धि में योगदान
शोध में यह भी उल्लेख किया गया कि यूपीआई अपनाने से ऋण वृद्धि में मदद मिली है। यूपीआई लेन-देन में 10% की वृद्धि से ऋण उपलब्धता में 7% की वृद्धि हुई है जिससे यह स्पष्ट होता है कि डिजिटल वित्तीय इतिहास ने ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में मदद की। शोध में यह बताया गया कि 2015 और 2019 के बीच सबप्राइम उधारकर्ताओं को दिए गए फिनटेक ऋण बैंकों के बराबर हो गए और यूपीआई के उच्च उपयोग वाले क्षेत्रों में फिनटेक कंपनियां फल-फूल रही हैं।
ऋण की बढ़ती उपलब्धता और डिफ़ॉल्ट दरें नहीं बढ़ीं
हालांकि ऋण वृद्धि हुई लेकिन डिफ़ॉल्ट दरें नहीं बढ़ीं। इसका मतलब यह था कि यूपीआई द्वारा सक्षम डिजिटल लेनदेन डेटा ने ऋणदाताओं को जिम्मेदारी से ऋण विस्तार करने में मदद की।
UPI की सफलता के वैश्विक निहितार्थ
इस शोध में यह भी कहा गया कि यूपीआई की सफलता के वैश्विक निहितार्थ हैं और भारत अन्य देशों को इस प्रौद्योगिकी को अपनाने में मदद करने में एक अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
इस प्रकार यूपीआई न केवल भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रहा है बल्कि वित्तीय समावेशन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।