US संसदीय समिति ने भारत से की कश्मीर में संचार सेवाएं बहाल करने की अपील

Edited By Tanuja,Updated: 08 Oct, 2019 01:11 PM

us congress committee urge india to restore communication in kashmir

अमेरिका की एक संसदीय समिति ने भारत से कश्मीर में करीब दो महीने से ठप पड़ी संचार सेवाएं बहाल करने का आग्रह किया और कहा कि इससे राज्य में लोगों के जीवन पर ..

वाशिंगटन: अमेरिका की एक संसदीय समिति ने भारत से कश्मीर में करीब दो महीने से ठप पड़ी संचार सेवाएं बहाल करने का आग्रह किया और कहा कि इससे राज्य में लोगों के जीवन पर ‘‘विनाशकारी प्रभाव'' पड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के 5 अगस्त के कदम के बाद से ही कश्मीर में पाबंदियां लगी हैं।

 

कश्मीर में दो महीने से अधिक समय से प्रमुख बाजारों के बंद रहने और सार्वजनिक वाहनों के सड़कों से नदारद रहने के कारण जन-जीवन प्रभावित है। उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा और कुपवाड़ा इलाकों को छोड़कर सभी जगह मोबाइल सेवाएं निलंबित है। इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से ही घाटी में सभी मंचों पर ठप हैं। ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी' ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘ कश्मीर में भारत की संचार सेवाओं पर रोक से कश्मीरियों की जिंदगियों और कल्याण पर विनाशकारी असर पड़ रहा है।'' ट्वीट में कहा गया, ‘‘ समय आ गया है कि भारत पाबंदियां हटाए और कश्मीरियों को भी वही अधिकार और सुविधाएं दे जो अन्य भारतीय नागरिकों को मिल रहे हैं।''

 

भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल सहित 14 अमेरिकी सांसदों ने एक माह पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंताओं को दूर करने और संचार सेवाएं बहाल करने का आग्रह किया था। एक महीने बाद ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी' का यह बयान आया है। ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी' की ‘एशिया-प्रशांत एवं परमाणु अप्रसार उपसमिति' 22 अक्टूबर को कश्मीर और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में मानवाधिकारों पर सुनवाई करेगी।

 

भारत ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया। भारत के इस कदम पर पाकिस्तान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय उच्चायुक्त को बर्खास्त कर दिया था और भारत के साथ कूटनीतिक संबंध भी कम कर दिए थे। भारत लगातार अनुच्छेद 370 पर अपने फैसले को ‘‘आंतरिक मामला'' बता रहा है और कहा कि ये पाबंदियां पाकिस्तान को आतंकवादियों के माध्यम से नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए लगाई गई हैं। 

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