Edited By Tanuja,Updated: 19 Aug, 2019 12:14 PM
कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दे पर पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव तथा अफगान शांति वार्ता के बीच...
लॉस एंजलिसः कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दे पर पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव तथा अफगान शांति वार्ता के बीच अमेरिका की विदेश नीति मामलों के एक विशेषज्ञ ने पाकिस्तान के प्रति किसी भी प्रकार के रणनीतिक झुकाव और भारत से दूरी के प्रति ट्रंप प्रशासन को आगाह किया है। विदेश संबंधों की परिषद के अध्यक्ष रिचर्ड एन हास ने पिछले सप्ताह एक लेख लिखा जिसमें वह कहते हैं,‘‘पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार बनाना अमेरिका के लिए नासमझी भरा कदम होगा।''
हास लिखते हैं कि पाकिस्तान काबुल में एक मित्रवत सरकार देख रही है जो उसकी सुरक्षा के लिए अहम है और उसके कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत को टक्कर दे सके। हास का यह लेख पहले प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित हुआ और इसके बाद यह सीएफआर की वेबसाइस पर भी जारी हुआ। हास ने कहा, ‘‘इसपर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि सेना और खुफिया एजेंसी, जो पाकिस्तान को अभी भी चला रही है, तालिबान पर लगाम लगाएगी या आतंकवाद को नियंत्रित करेगी।'' उन्होंने लिखा, ‘‘उसी तरह से, भारत से दूरी बनाना अमेरिका की नासमझी होगी।
हां, भारत में संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की परंपरा रही है और अक्सर रणनीतिक मुद्दों पर पूरी तरह से सहयोग करने की अनिच्छा अमेरिकी नीति निर्माताओं को निराश करती है।'' उन्होंने लिखा, लेकिन लोकतांत्रिक भारत, जो जल्द ही चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, पर दांव लगाना एक दीर्घकालिक लाभ होगा।
उनक कहना है, ‘‘यह चीन से सामना करने में मदद के तौर पर भारत एक स्वाभाविक साझेदार है। भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भागीदारी से इनकार कर दिया, जबकि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने इसे गले लगा लिया।''