तहाव्वुर राणा की रिहाई के खिलाफ अमेरिका सरकार, जताया इस बात का खतरा

Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2020 11:59 AM

us govt opposes release of tahawwur rana

अमेरिका सरकार ने कैलिफोर्निया की फेडरल अदालत में अर्जी देकर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमला मामले में भारत द्वारा भगोड़ा घोषित पाकिस्तानी ...

वाशिंगटन: अमेरिका सरकार ने कैलिफोर्निया की फेडरल अदालत में अर्जी देकर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमला मामले में भारत द्वारा भगोड़ा घोषित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहाव्वुर राणा की रिहाई का विरोध किया है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि उसके देश छोड़कर भागने का खतरा है। डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को भारत के अनुरोध पर 10 जून को लॉस एंजिलिस से फिर से गिरफ्तार किया गयाथा । भारत ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के सिलसिले में राणा के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। हमले में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे।

 

लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी सदस्य हेडली 2008 मुंबई आतंकवादी हमले के षड्यंत्र में शामिल था। वह इस मामले में सरकारी गवाह बन गया था और फिलहाल हमले में अपनी भूमिका के लिए अमेरिका की जेल में 35 साल की सजा काट रहा है। राणा को भारत ने भगोड़ा घोषित किया हुआ है और उसके प्रत्यर्पण पर सुनवाई 12 फरवरी को होनी है। लॉस एंजिलिस के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज जैकलीन शेलोनियन की अदालत में सोमवार को दी गई अर्जी में अमेरिकी अधिवक्ता निकोला टी. हना ने अदालत से राणा को रिहा करने का आवेदन खारिज करने का अनुरोध किया।

 

वकील ने कहा कि राणा यह साबित करने में असफल रहे हैं कि वह देश छोड़कर नहीं भागेंगे और उनके प्रत्यर्पण की अर्जी लंबित होने के कारण विशेष परिस्थिति बन रही है और उसे हिरासत में रखना आवश्यक है। राणा कोविड-19 महामारी का लाभ उठाकर प्रत्यर्पण से पहले हिरासत से अपनी रिहाई का प्रयास कर रहा है जबकि हना ने अर्जी देकर उसे फरवरी में सुनवाई होने तक हिरासत में ही रखने का अनुरोध किया है। राणा के वकील ने अनुरोध किया है कि महामारी के मद्देनजर उसे रिहा कर दिया जाए।

 

वहीं सरकारी वकील का कहना है कि प्रत्यर्पण का सामना कर रहे एक भगोड़े अपराधी को उसी सूरत में जमानत मिल सकती है जब वह साबित करे कि उसके देश छोड़कर भागने का खतरा नहीं है और उसे हिरासत से रिहा करने के लिए कोई ‘विशेष परिस्थिति' बन रही है। राणा ने अदालत में दी गई अपनी अर्जी में कहा है कि ब्यूरो ऑफ प्रिजन कोविड-19 का प्रभावी प्रबंधन करने की क्षमता नहीं रखता है इसलिए उसे हिरासत से रिहा किया जाए। हना ने दलील दी है कि ब्यूरो कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध है और हिरासत में मौजूद सभी बंदियों की सुरक्षा कर रहा है।  

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