US का चीन पर फिर वारः दलाई लामा चुनाव पर तिब्बत के समर्थन में नया कानून किया पास

Edited By Tanuja,Updated: 23 Dec, 2020 11:12 AM

us passes bill reaffirming right of tibetans to choose next dalai lama

अमेरिकी कांग्रेस ने चीन पर निशाना साधते हुए एक विधेयक पारित किया है जिसमें तिब्बतियों को उनके आध्यात्मिक नेता का उत्तराधिकारी चुनने के अधिकार को रेखांकित किया गया है...

वाशिंगटन:  LAC  पर भारत-चीन टकराव के बीच अमेरिका ने ड्रैगन पर फिर वार किया है। अमेरिकी कांग्रेस ने चीन पर निशाना साधते हुए एक विधेयक पारित किया है जिसमें तिब्बतियों को उनके आध्यात्मिक नेता का उत्तराधिकारी चुनने के अधिकार का समर्थन किया गया है और तिब्बत के मुद्दों पर एक विशेष राजनयिक की भूमिका का विस्तार किया गया है। अमेरिका ने तिब्बत में दलाई लामा चुनने की प्रक्रिया में चीनी सरकार की दखलदांजी का कड़ा विरोध किया है। विधेयक के तहत तिब्बत मामलों पर अमेरिका के विशेष राजनयिक को यह अधिकार दिया गया है कि अगले दलाई लामा का चयन सिर्फ तिब्बत बौद्ध समुदाय द्वारा किया जाए यह सुनिश्चित करने के लिए वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन कर सकता है।

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नए कानून में साफ तौर से कहा गया है कि जब बौद्ध धर्म का पालन भारत, नेपाल, भूटान और मंगोलिया जैसे देशों में भी किया जाता है तो फिर चीन की कम्युनिस्ट सरकार ही क्यों धार्मिक-गुरू ('दलाई लामा') के चुनने की प्रक्रिया में टांग अड़ाती है। तिब्बत नीति और समर्थन कानून, 2020 को सोमवार को पारित किया गया जिसमें तिब्बत में तिब्बती समुदायों के समर्थन में गैर-सरकारी संगठनों को सहायता का प्रस्ताव है। इसमें अमेरिका में नए चीनी वाणिज्य दूतावासों पर तब तक पाबंदी की बात है जब तक तिब्बत के ल्हासा में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की स्थापना नहीं की जाती। 

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 इस बिल में तिब्बत में धार्मिक-अजादी के साथ-साथ लोकतंत्र को मजबूत करने, पर्यावरण सरंक्षण, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने का समर्थन किया गया है। साथ ही तिब्बत से एनजीओ आदि को फंडिंग देने पर जोर दिया गया है।  नए अमेरिकी कानून में दलाई-लामा समर्थित लोकतांत्रिक सरकार को पूरी तरह से मंजूरी देते हुए तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर चीनी सरकार को बातचीत करने के लिए कहा गया है।  ता दें कि तिब्बत में दलाई लामा बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरू माने जाते हैं और एक पंरपरा के तहत उन्हें चुना जाता है लेकिन तिब्बत पर कब्जे के बाद से चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपनी मर्जी से पंचेन-लामा और दलाई लामा चुनने का दावा करती है। 

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नए अमेरिकी कानून में तिब्बत में मानवधिकारों पर भी जोर दिया गया है।  इसके अलावा तिब्बत की राजधानी ल्हासा में अमेरिकी काउंसलेट खोलने की बात भी की गई है। ये नया कानून अमेरिका ने ऐसे समय में लागू किया है जब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत और चीन के बीच टकराव चल रहा है। हालांकि, इस बिल को इस साल की शुरुआत में अमेरिकी संसद में पेश किया गया था लेकिन सोमवार देर रात इसे पारित किया गया। नए अमेरिकी कानून में तिब्बत में चीन द्वारा बांध और नदियों के दुरूपयोग पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। कहा गया है कि तिब्बत में 'सस्टेनेबल-डेवलपमेंट' होना चाहिए। 

 

 

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