Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jan, 2018 10:09 PM
एक अमरीकी विशेषज्ञ अमरीका के जर्मन मार्शल फंड के वरिष्ठ ट्रांसअटलांटिक फेलो ऐंड्रयू स्मॉल ने अपनी राय व्यक्त करते कहा है कि दक्षिण एशिया में चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआइ) पर लगाम लगाने में भारत को कुछ हद तक सफलता मिली है।
वाशिंगटनः एक अमरीकी विशेषज्ञ अमरीका के जर्मन मार्शल फंड के वरिष्ठ ट्रांसअटलांटिक फेलो ऐंड्रयू स्मॉल ने अपनी राय व्यक्त करते कहा है कि दक्षिण एशिया में चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआइ) पर लगाम लगाने में भारत को कुछ हद तक सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि भारत ही दुनिया का एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जिसने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का विरोध किया है। बीआरआइ का जोर एशियाई देशों, अफ्रीका, चीन और यूरोप के बीच बेहतर संपर्क और सहयोग बढ़ाने पर है।
ऐंड्रयू स्मॉल ने कहा, 'भारत ने दक्षिण एशिया में बेल्ट एंड रोड पहल पर कुछ हद तक लगाम लगाई है।' ओबोर कही जाने वाली सिल्क रोड परियोजना की प्रमुख योजना सीपीईसी को लेकर भारत ने संप्रभुता संबंधी चिंता जताई थी। यही कारण है कि पिछले साल मई में बेल्ट एंड रोड फोरम से भारत दूर रहा। अमीका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग में सुनवाई के दौरान स्मॉल ने कहा कि श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश में चीन पर अंकुश लगाने में भारत कुछ हद तक कामयाब रहा है।
उन्होंने कहा कि सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट और यूरो एशियन यूनियन के विलय पर रूस का समर्थन पाने के लिए चीन ने राजनीतिक तौर पर कड़ी मेहनत की। कुछ शर्तो के साथ जापान से भी समर्थन लेने की कोशिश की। लेकिन पहले चरण में वह भारत पर वैसे राजनीतिक प्रयास नहीं कर पाया। भारत ने सीपीईसी का विरोध किया, जिसके बारे में चीन ने नहीं सोचा था। अब चीन को भी इस क्षेत्र में विपरीत परिणाम मिल रहे हैं।