Edited By vasudha,Updated: 03 Apr, 2018 03:50 PM
अमेरिका ने एच -1 बी वीजा के लिए आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन इस बार भारतीय आईटी कंपनियों की इसमें दिलचस्पी कम दिखाई दे रही है। भारतीय कंपनियों की तरफ से एच- 1बी वीजा के लिए बेहद कम आवेदन किए गए हैं...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका ने एच -1 बी वीजा के लिए आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन इस बार भारतीय आईटी कंपनियों की इसमें दिलचस्पी कम दिखाई दे रही है। भारतीय कंपनियों की तरफ से एच- 1बी वीजा के लिए बेहद कम आवेदन किए गए हैं। दरअसल ट्रम्प प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि इस बार एप्लिकेशन की सख्ती से जांच की जाएगी।
लॉटरी के माध्यम से होता था लोगों का चुनाव
वीजा प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसी संयुक्त राज्य नागरिकता और आव्रजन सेवाओं( यूएससीआईएस) ने एक अक्तूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2019 के लिए ए-1 बी वीजा का आवेदन स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हालांकि, यूएससीआईएस ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि एच-1 बी वीजा जारी करने के लिए वह पिछले वर्षों की भांती कंप्यूटरीकृत लॉटरी प्रणाली का प्रयोग करेगा या नहीं। गौरतलब है कि पिछले वर्षों में तय संख्या से ज्यादा वीजा आवेदन मिलने पर विभाग लॉटरी के माध्यम से लोगों का चुनाव करता था।
लॉटरी प्रणाली अपना सकता है यूएससीआईएस
फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग सहित प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वालों का कहना है कि आने वाले दिनों में एच-1 बी वीजा आवेदनों की संख्या संसद द्वारा अधिकतम तय सीमा तक पहुंच जाएगी। ऐसे में यूएससीआईएस सफल आवेदकों का चुनाव करने के लिए फिर से लॉटरी प्रणाली को अपना सकता है। एच1 बी वीजा एक गैर- आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में विदेशी नागरिकों को नौकरियां देने की अनुमति देता है। प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियां प्रतिवर्ष भारत और चीन से हजारों पेशेवरों की नियुक्तियों के लिए इसी वीजा पर निर्भर होती हैं। संसद ने एव वर्ष में अधिकतम 65,000 एच1 बी वीजा देने का फैसला लिया है।