Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2021 11:05 AM
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने अपनी व्यापक समीक्षा के बाद फैसला किया है कि चीन और रूस के खतरे से निपटने के लिए बनाए गए बनाए गए सैन्य ...
वॉशिंगटन: अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने अपनी व्यापक समीक्षा के बाद फैसला किया है कि चीन और रूस के खतरे से निपटने के लिए बनाए गए बनाए गए सैन्य ठिकानों पर सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया जाएगा। दक्षिण चीन सागर और जापान तट के पास चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका प्रशांत महासागर में स्थित अपने गुआम और ऑस्ट्रेलिया में स्थित सैन्य अड्डों को आधुनिक बनाने में जुट गया है। पेंटागन की शीर्ष अधिकारी मारा कार्लिन ने कहा कि चीन के खतरे से निपटने के लिए गुआम और ऑस्ट्रेलिया में सैन्य तैनाती को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया में आप देखेंगे कि नए फाइटर और बॉम्बर की तैनाती की जाएगी। आप देखेंगे कि पैदल सेना की ट्रेनिंग बढ़ेगी और सामरिक किलेबंदी में सहयोग बढ़ाया जाएगा।' गुआम और ऑस्ट्रेलिया में अमेरिका की सैन्य किलेबंदी भारत के लिए अच्छी खबर है।
पश्चिम एशिया में अपने सैनिकों की तैनाती को बरकरार रखेगा अमेरिका
चीन के आक्रामक रुख से भारत, ताइवान, जापान और दक्षिण पूर्वी एशिया के देश परेशान हैं। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती कर रहा है। चीन के हजारों सैनिक एलएसी पर तैनात हैं। अमेरिका के इस तैनाती से चीन को दोनों ही मोर्चों पर जूझना पड़ेगा।इ सके अलावा अमेरिका ईरान पर लगाम लगाने के लिए पश्चिम एशिया में अपने सैनिकों की तैनाती को बरकरार रखेगा। पेंटागन की शीर्ष अधिकारी मारा कार्लिन ने कहा कि यूरोप में रूस की आक्रामक कार्रवाई पर लगाम लगाने के लिए विश्वसनीय ताकत को बढ़ाया जाएगा ताकि नाटो के सैनिक प्रभावी तरीके से काम कर सकें।
अमेरिका को सबसे अधिक खतरा चीन से
दरअसल,अमेरिका ने मान लिया है कि अगर उसे सबसे अधिक किसी देश से खतरा है तो वह चीन है। वहीं दूसरे और तीसरे विरोधी के रूप में रूस और ईरान को माना है। इन तीनों देशों को टक्कर देने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग गुआम और ऑस्ट्रेलिया में सैन्य सुविधाओं का उन्नयन और विस्तार करेगा। इसके अलावा अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत क्षेत्र के कई दीपों पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करवाने और रोटेशपल बेस पर एयरक्राफ्ट की तैनाती की योजना बनाई है। इतना ही नहीं चीन की तानाशाही को रोकने के लिए अमेरिका ने अपने मित्र देशों के साथ गठजोड़ कर सहयोग नीति के जरिए काम करने की अपील की है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि सितंबर में ही इसका खाका तैयार कर लिया गया था।
चीन और अमेरिका के बची कई मुद्दों को लेकर विवाद
अमेरिका ने यह कदम ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक नए रक्षा गठबंधन के गठन के बाद उठाया है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका ने हाल ही में एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते की घोषणा की है, जिसे 'ऑकस' (AUKUS) का संक्षिप्त नाम दिया गया है। अमेरिका की ओर से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए ये कदम उठाया गया है। चीन और अमेरिका के बची कई मुद्दों को लेकर विवाद है। अमेरिका हमेशा से ही चीन में जारी मानवाधिकार उल्लंघन के अलावा ताइवान और दक्षिणी चीन सागर का मुद्दा उठाता आया है।