Edited By Tanuja,Updated: 10 Jun, 2021 02:12 PM
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आंतक का पनाहगाह देश पाकिस्तान फायदा उठा सकता है और भारत की टेंशन बढ़ सकती है। CNS न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार ...
काबुल: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आंतक का पनाहगाह देश पाकिस्तान फायदा उठा सकता है और भारत की टेंशन बढ़ सकती है। CNS न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (FDD) के वरिष्ठ फेलो और लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोगियो का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। संपादक बिल रोगियो ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बढ़ सकता है। रोगियो ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करना उसकी विदेश नीति के एक हिस्सा मानता है और ऐसे में तालिबान की जीत जिहादी समूहों को प्रोत्साहित करती है।
इस मामले पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों को डर है किअमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध से खुद को अलग करने के बाद कश्मीर के हालात बिगड़ सकते हैं और संघर्ष अधिक भयानक रूप ले सकता है । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर अमेरिकी सैनिकों को सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस बुलाने का काम शुरू हो गया है। युद्ध प्रभावित देश से अभी तक उसके आधे सैनिक लौट भी आए हैं। इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका केवल अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है, देश में अपनी मौजूदी खत्म नहीं कर रहा और वह आर्थिक तथा मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए वहां एक मजबूत राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं।
बता दें कि भारत ने अपने पड़ोसी पाकिस्तान पर आतंकवादियों को खुली छूट देने का आरोप लगाते हुए दोनों देशों के बीच जारी इस लंबे संघर्ष के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अगस्त 2019 में दोनों देशों के बीच तनाव एक नए सिरे से बढ़ गया जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया। इस कदम ने पाकिस्तान को नाराज कर दिया, जो अपनी उभरी हुई विदेश नीति की फाइल में कश्मीर को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देखता है।
भारत का कहना है कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए समर्पित है, जिसने 1980 के दशक के अंत में गति पकड़ी थी। सीएनएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों ने लंबे समय से दावा किया है कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान के समर्थन या स्वीकृति के साथ काम करते हैं। पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों के समर्थन का आरोप लगता रहा है।