कोरोना वायरस: मेलजोल कम करना ही एक मात्र रास्ता है

Edited By Anil dev,Updated: 17 Mar, 2020 10:40 AM

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एक नये स्ट्रेन कोरोना वायरस का जब पहला मामला अमरीका में आया तो काफी समय तक संक्रमण मिलने के अन्य मामले यदाकदा थे मगर डेढ़ महीने बाद ऐसे मामले सामने आने का एक तेज प्रवाह बना। एक मार्च से 13 मार्च के बीच संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। एक...

वाशिंगटन: एक नये स्ट्रेन कोरोना वायरस का जब पहला मामला अमरीका में आया तो काफी समय तक संक्रमण मिलने के अन्य मामले यदाकदा थे मगर डेढ़ महीने बाद ऐसे मामले सामने आने का एक तेज प्रवाह बना। एक मार्च से 13 मार्च के बीच संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। एक साथ उछाल दिखाने वाले इस ग्राफ को घातीय वक्र (एक्सपोनेंशियल कर्व) कहा जाता है। यह तब बनता है जब मामले हर तीसरे दिन दोगुना हो रहे हों। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मई तक अमरीका में संक्रमण के मामलो की संख्या 10 करोड़ को पार कर सकती है। यह अनुमान गणित का है और इसे भविष्यवाणी न समझा जाए। 

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प्रसार पर लग सकता है अंकुश
संक्रमण के मामले बढऩे की गति पर अंकुश लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसका एक ही तरीका है। लोगों को ‘मेलजोल कम करना’ (सोशल डिस्टेंसिंग) होगा। वे सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज करें और घर से कम बाहर निकलें। इसके अलावा इस वायरस कोविड-19 को फैलने से रोकने का कोई और तरीका नहीं है। अगर रोका नहीं गया तो यह महीनों तक घातीय वक्र ग्राफ बनाती जाएगी यानी हर तीन दिन पर मामले दोगुने होते जाएंगे।

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बीमारी के प्रसार को समझें
हम एक नकली बीमारी मान लेते हैं जो कोविड-19 से भी तेज गति से फैलती है। जब कोई स्वस्थ्य व्यक्ति किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आता है तो स्वस्थ्य व्यक्ति भी बीमार हो जाता है। अगर पांच लोगों की आबादी है तो यह उनमें फैलने में ज्यादा वक्त नहीं लेगी। वास्तविक जीवन में लोग ठीक भी होते हैं। ठीक हुआ व्यक्ति किसी दूसरे को बीमार नहीं करता मगर वह फिर किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आएगा तो फिर से बीमार हो जाएगा।

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जानिए क्या होता है
मान लें कि एक 200 लोगों की आबादी का शहर है। हर किसी को हर जगह जाने और किसी भी कोण तक मुडऩे की छूट है। वहां हमें एक बीमार व्यक्ति मिलता है। ऐसे में वह जिनसे मिलेगा और उससे मिलने वाले आगे जिनसे मिलेंगे, बीमारी तेजी से फैलेगी और ग्राफ तब तेजी से ऊपर उठेगा। बाद में लोग जब ठीक होने लगेंगे तो यह नीचे आएगा। व्हिटियर और अलास्का जैसे कम अबादी वाले कस्बों में तो बीमारी तेजी से पूरी आबादी में फैल जाएगी मगर अमरीका जैसे देश में जहां आबादी 33 करोड़ है यह ग्राफ धीमी गति से शुरू होगा और इसके घातीय वक्र बनने में वक्त लगेगा। 

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कोविड-19 की चाल को समझें
अब हम कोविड-19 के प्रसार की गति पर आते हैं। हम चाहेंगे कि देश के बड़े हिस्से में यह न फैले। इसके प्रसार को कम करने के लिए कुछ इलाकों को बल पूर्वक क्वारेंटाइन करना होगा, जैसे कि चीन ने हुबेई प्रांत को किया। हालांकि विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बीमार जनसंख्या को अन्य स्वस्थ जनसंख्या से एकदम अलग कर देना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। कुछ हद तक संपर्क चलता रहेगा। 

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ये हैं बाधाएं
बाल्टीमोर सिटी के पूर्व हेल्थ कमिश्नर लीना वेन ने के हवाले से वाशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इलाकों को जबरन क्वारेंटाइन करने में बहुत सी बाधाएं हैं। बहुत से लोग रोजगार के लिए रोज एक शहर से दूसरे शहर में आते-जाते हैं। हर सड़क को कैसे ब्लॉक किया जा सकता है। अगर ऐसा करेंगे तो लोगों तक खाने-पीने की चीजें पहुंचना बंद हो जाएंगी। जोर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लोरेंस ओ गोस्टिन के अनुसार सच तो यह है कि इस तरह के लॉकडाउन बहुत ही मुश्किल हैं और इनका कोई असर भी नहीं होता। 

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रास्ते और भी हैं
इस महामारी की गति धीमी करने के कुछ और भी रास्ते हैं। स्वस्थ्य आधिकारी लोगों को इस बात के लिए जागरूक करें कि वह भीड़ में जाने से बचें। घर पर रहें। अन्य लोगों से फासला बनाकर मिलें। अगर लोग कम घूमे फिरेंगे और कम लोगों से मिलेंगे जुलेंगे तो उनमें वायरस फैलने का खतरा भी कम होगा। संभव है कि कुछ लोगों को फिर भी बाहर आना जाना पड़े क्योंकि उनकी रोजी रोटी के लिए यह जरूरी है मगर ऐसे लोगों के लिए न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने परिवार को भी संक्रमित करने का खतरा ज्यादा होगा। 

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नतीजे मिलेंगे
अगर एक तिहाई आबादी भी खुद को क्वारेंटाइन कर लेती है और बाकी एक चौथाई आबादी घूमती फिरती है तो सिर्फ यह एक चौथाई आबादी में ही आपस में संक्रमण फेलने का खतरा होगा और बाकी एक तिहाई सुरक्षित रहेगी। इसे वाउंसिंग वाल्स के उदाहरण से भी समझा जा सकता है। 
 

सार्वजनिक स्थानों को बंद करें
सार्वजनिक स्थलों को पहले बंद करना चाहिए। इटली ने सभी रेस्त्रां को बंद किया। चीन ने हर चीज बंद कर दी। 

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