अमरीकी लेखक ने 1981 में लिख दी थी ‘वुहान-400’ वायरस से Corona Virus जैसी महामारी की कहानी

Edited By Anil dev,Updated: 17 Feb, 2020 11:06 AM

usa manish tiwari dean koontz corona virus

अब तक दुनियाभर में 1,665 लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस क्या कोई जैविक हथियार है जो पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है? क्या ऐसा हो सकता है कि चीन ने इसे विकसित करने के अपने प्रयास के दौरान इस पर अपना नियंत्रण खो दिया और यह उसके और दुनिया के लिए...

नई दिल्ली: अब तक दुनियाभर में 1,665 लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस क्या कोई जैविक हथियार है जो पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है? क्या ऐसा हो सकता है कि चीन ने इसे विकसित करने के अपने प्रयास के दौरान इस पर अपना नियंत्रण खो दिया और यह उसके और दुनिया के लिए भस्मासुर बन गया है? जब संसार भर में इससे डरे देश इससे बचने की कोशिशों में लगे हुए हैं, ऐसे में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने एक अमरीकी लेखक डीन कून्ट्ज की पुस्तक ‘द आइज ऑफ डार्कनैस’ का मुखपृष्ठ एवं अंदर का एक पृष्ठ पोस्ट करके लिखा है, ‘‘क्या कोरोना वायरस चीनियों द्वारा वुहान-400 नामक एक जैविक हथियार है? यह पुस्तक 1981 में प्रकाशित हुई थी। इसके अंश पढ़कर देखें।’’ 
 

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तिवारी ने पुस्तक से एक अनुच्छेद प्रस्तुत किया है जो इस प्रकार है : ‘‘वे इस चीज को ‘वुहान-400’ कहते हैं क्योंकि यह वुहान शहर के बाहर स्थित उनकी आर.डी.एन.ए. लैब में विकसित किया गया है। यह उस लैब में तैयार किए गए मानव-निर्मित सूक्ष्म-जीवियों का 400वां सक्षम स्ट्रेन है।’’ 1981 में लिखी गई पुस्तक ‘द आइज ऑफ डार्कनैस’ के लेखक डीन कून्ट्ज ने कोरोना वायरस जैसी महामारी की भविष्यवाणी कर दी थी। पुस्तक की कहानी में एक चीनी वैज्ञानिक ली चेन चीन से भागकर अमरीका पहुंचता है और अपने साथ लेकर आता है एक छोटी-सी डिस्क। इस डिस्क में चीन के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे खतरनाक नए जैविक हथियार ‘वुहान-400’ का रिकार्ड है। 

उल्लेखनीय है कि चीन के वुहान शहर से ही कोरोना वायरस ने दुनिया में पैर पसारे हैं। पुस्तक के अनुसार ‘वुहान-400’ एक सटीक हथियार है। यह केवल मानवों को ही अपना शिकार बनाता है। किसी और जीव-जंतु को यह प्रभावित नहीं करता है। किसी और संक्रमणशील बीमारी की तरह वुहान-400 मानव शरीर के बाहर एक मिनट से अधिक जीवित नहीं रह सकता। इसका अर्थ यह हुआ कि यह एंथ्रैक्स या अन्य सूक्ष्म-जीवी रोगों की तरह वस्तुओं और स्थानों को प्रदूषित नहीं करता। जैसे ही रोगी मरता है, थोड़े समय बाद वुहान-400 भी शरीर का तापमान 86 डिग्री फैरनहाइट से नीचे गिरने पर मर जाता है।  इस बात का महत्व समझ में आया? पुस्तक के अनुसार इसका अर्थ यह निकला कि शहर के शहर और देश के देश साफ करने के लिए चीनी वुहान-400 का इस्तेमाल कर सकते हैं। उसके बाद उन्हें पराजित भूमि को स्वच्छ करने के लिए कठिन और महंगा अभियान नहीं चलाना पड़ेगा और वे आसानी से उसे अपने शासन में ले सकेंगे। पुस्तक के अनुसार वुहान-400 अन्य जैविक हथियारों से एक अन्य अर्थ में भी चीन के लिए कारगर है। यह अफ्रीका में फैले एबोला वायरस से भी बहुत ज्यादा घातक है। एबोला से तो कोई बच भी जाए लेकिन वुहान-400 की चपेट में आने वाले को सौ फीसदी मरना ही होगा। उसके बचने की कोई संभावना ही नहीं है।  एक लेखक की कल्पनाशीलता सच्चाई के कितने करीब पहुंच सकती है, यह पुस्तक इसका एक उदाहरण है।  

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