2 घंटे स्मार्टफोन के इस्तेमाल से ही बच्चें में मानसिक रोग का खतरा

Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Nov, 2018 12:13 PM

use of a smartphone for 2 hours the risk of mental illness in children

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्मार्टफोन और टैबलेट्स के अत्यधिक प्रयोग के कारण बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। सान डिएगो स्टेट विश्वविद्यालय अमरीका और जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध में सामने आया है

नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्मार्टफोन और टैबलेट्स के अत्यधिक प्रयोग के कारण बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। सान डिएगो स्टेट विश्वविद्यालय अमरीका और जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध में सामने आया है कि ऐसे बच्चे जो दिन में 2 घंटे से अधिक देर तक स्मार्टफोन या किसी ऐसे ही गैजेट का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें सोने में काफी दिक्कत आती है और वे तनाव का शिकार हो रहे हैं। उनका मानना है कि स्मार्टफोन का सबसे ज्यादा असर किशोरों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों पर हो रहा है। शोध के मुताबिक अगर बच्चे 9 घंटे की अपनी नींद पूरी नहीं करें तो वे अपनी पढ़ाई या अन्य कार्यों में उचित प्रदर्शन नहीं कर पाते। शोध में अमरीका के 2 से 17 साल की उम्र के 40,000 के करीब किशोरों को शामिल किया गया जिसके बाद ये आंकड़े जुटाए गए हैं।

प्रोफैसर जीन टवैंज और कीथ कैंपवैल ने बताया कि आधे से ज्यादा मानसिक रोगों के शिकार किशोर हैं। शोधकत्र्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्मार्टफोन या अन्य गैजेट्स के साथ हमें दूसरे कारण भी जानने चाहिएं ताकि हम बच्चों को मानसिक रोगी होने से बचा सकें। बच्चों में दूसरी खेलों के प्रति रुचि पैदा करनी होगी। वैज्ञानिकों ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों के ऑनलाइन और टैलीविजन पर समय व्यतीत करने के समय में कटौती करनी होगी। बच्चों का ध्यान पढ़ाई और खेलों की तरफ आकर्षित करना होगा। प्रो. जीन टवैंज ने कहा कि हमें निश्चित करना होगा कि बच्चे एक घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन या गैजेट्स की स्क्रीन नहीं देखें। इसी तरह उन्होंने सलाह दी है कि किशोरों के लिए भी स्मार्टफोन पर समय सीमा 2 घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

हर रोज 7 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं बच्चे
वैज्ञानिकों ने बताया कि आंकड़े जुटाते हुए 3 मुद्दों पर सवाल किए गए। ये मुद्दे थे-भावनात्मक, विकासात्मक या व्यवहार संबंधी। शोध में सामने आया कि किशोर 7 घंटे से ज्यादा समय स्मार्टफोन की स्क्रीन पर बिता रहे हैं जबकि एक घंटा स्क्रीन पर बिताने से अनिद्रा और तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। वहीं अमरीकी जनकल्याण संस्थान केसर फैमिली फाऊंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार रोजाना बच्चे औसतन 7 घंटे 38 मिनट इंटरनैट पर बिता रहे हैं जबकि वर्ष 2004 में यह आंकड़ा 1 घंटा और 17 मिनट का था। बच्चे ऑनलाइन रहकर इंटरनैट सर्फ  करने के अलावा कम्प्यूटर गेम्स, आईपॉड पर संगीत सुनना और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। 8 से 18 साल के बच्चों का अध्ययन करने पर शोधकत्र्ताओं ने पाया कि कई छोटे बच्चे तो एक ही समय में कई इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए 10 घंटे से अधिक समय इंटरनैट पर गुजार देते हैं। टैलीग्राफ  में यह अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।

सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर ब्रिटेन बना रहा है नियम
सोशल मीडिया के बच्चों पर पड़ते नकारात्मक प्रभाव से फिक्रमंद ब्रिटेन सरकार बच्चों के लिए इन साइटों और एपों के इस्तेमाल के घंटे मुकर्रर करने के लिए नियम बनाने जा रही है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हेनकोक ने कहा कि उन्होंने योजना बनाने के निर्देश दिए हैं और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों पर हमला बोलते हुए कहा कि वे उपयोगकत्र्ताओं की आयु सीमा पर अपने स्वयं के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक पिता के तौर पर मैं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव के बढ़ते साक्ष्यों को लेकर बहुत फिक्रमंद हूं। बच्चों द्वारा सोशल मीडिया के बेलगाम इस्तेमाल से उनके मानसिक स्वास्थ्य के क्षतिग्रस्त होने का खतरा है।
 

जरूरत से ज्यादा प्रयोग खतरनाक  
महादेव न्यूरो साइकैट्री सैंटर वाराणसी के जाने-माने मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. एम.एन. त्रिपाठी ने एक शोध में बताया कि बदलते परिवेश में स्मार्टफोन और इंटरनैट की लत लोगों की सोचने की क्षमता को नुक्सान पहुंचा रहा है। इससे सामाजिक रिश्ते खत्म होते जा रहे हैं। इनका जरूरत से ज्यादा प्रयोग खतरनाक साबित हो रहा है।

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