Edited By rajesh kumar,Updated: 31 Aug, 2024 04:36 PM
योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के लिए एक नई कानूनी परेशानी खड़ी हो गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के हर्बल टूथ पाउडर ‘दिव्य मंजन’ में मांसाहारी तत्व शामिल हैं, जिसे शाकाहारी उत्पाद...
नेशनल डेस्क: योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के लिए एक नई कानूनी परेशानी खड़ी हो गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के हर्बल टूथ पाउडर ‘दिव्य मंजन’ में मांसाहारी तत्व शामिल हैं, जिसे शाकाहारी उत्पाद के रुप में बेचा जा रहा है।
याचिकाकर्ता का दावा
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह लंबे समय से ‘दिव्य मंजन’ का उपयोग कर रहा था क्योंकि इसे शाकाहारी और आयुर्वेदिक उत्पाद के रूप में प्रचारित किया जाता है। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध से पता चला कि इस उत्पाद में समुद्रफेन (सीपिया ऑफिसिनेलिस) नाम का एक तत्व शामिल है, जो मछली के अर्क से प्राप्त होता है।
पैकेजिंग और सामग्री में अंतर का आरोप
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि पतंजलि के ‘दिव्य मंजन’ की पैकेजिंग पर हरे रंग का बिंदु होता है, जो शाकाहारी उत्पाद का प्रतीक है। जबकि सामग्री की सूची में स्पष्ट रूप से सीपिया ऑफिसिनेलिस का उल्लेख किया गया है, जो एक मांसाहारी तत्व है।
धार्मिक विश्वास और गलत ब्रांडिंग का मुद्दा
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता यतिन शर्मा ने तर्क दिया है कि यह गलत ब्रांडिंग है और यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का उल्लंघन है। उनका कहना है कि मांसाहारी सामग्री की इस जानकारी ने उनके और उनके परिवार के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाई है, क्योंकि उनका धर्म मांसाहारी पदार्थों के सेवन की अनुमति नहीं देता।
रामदेव के कथित स्वीकारोक्ति का उल्लेख
याचिका में दावा किया गया है कि बाबा रामदेव ने खुद एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि समुद्रफेन एक पशु-आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग ‘दिव्य मंजन’ में किया जाता है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य मंत्रालय, एफएसएसएआई, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और आयुष मंत्रालय जैसी सरकारी एजेंसियों से भी शिकायत की थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
न्यायालय से न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
याचिकाकर्ता ने अदालत से अपील की है कि वह इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप करे और पतंजलि आयुर्वेद और अन्य प्रतिवादियों को जवाबदेह ठहराए। इसके साथ ही, याचिकाकर्ता ने अनजाने में मांसाहारी उत्पाद के सेवन से हुई परेशानी के लिए मुआवजे की भी मांग की है।
रामदेव और केंद्र को नोटिस जारी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव, केंद्र सरकार और पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
पतंजलि को पहले भी लग चुकी है फटकार
यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि और बाबा रामदेव विवादों में आए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी पतंजलि और उसके सह-संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापन प्रथाओं के लिए फटकार लगाई थी और उनसे अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के सभी भ्रामक विज्ञापनों को हटाने और जनता से माफी मांगने का आदेश दिया था।