जानें कैसा था वीजी सिद्धार्थ का ट्रेनी से लेकर CCD के फाउंडर तक का सफर

Edited By Anil dev,Updated: 31 Jul, 2019 06:26 PM

v g siddhartha coffee ccd

देश की सबसे बड़ी कॉफी श्रृंखला कैफे कॉफी डे  को खड़ा करने वाले वी . जी सिद्धार्थ ने कथित तौर पर कर्ज और कर से परेशान होकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वह सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार को उनका शव मिला।

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कॉफी श्रृंखला कैफे कॉफी डे  को खड़ा करने वाले वी . जी सिद्धार्थ ने कथित तौर पर कर्ज और कर से परेशान होकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वह सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार को उनका शव मिला। कॉफी डे एंटरप्राइजेज के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ ने कॉफी की दुकानें चलाने वाले वैश्विक ब्रांड स्टारबक्स के मुकाबले भारत में एक सफल ब्रांड  कैफे कॉफी -डे खड़ा किया। उनकी ख्याति एक सफल उद्यमी की रही है। हालांकि, कुछ सालों से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सिद्धार्थ की ओर से लिखे गए एक कथित पत्र में इस बात के संकेत मिले हैं कि वह बैंकों, निवेशकों और कर अधिकारियों के दबाव की वजह से उन्होंने अपना जीवन समाप्त कर लिया। 

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कॉफी बागान के कारोबार में 140 साल से लगे परिवार में जन्मे सिद्धार्थ की शुरू में परिवार के कॉफी बागान के काम में जयादा रूचि नहीं थी। उन्होंने शेयर ट्रेडिंग का काम किया। मैंगलोर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक की डिग्री लेने के बाद वह मुंबई में निवेश बैंकर के रूप में काम करना चाहते थे। साल 1984 में सिद्धार्थ ने बेंगलूरू में अपनी निवेश एवं वेंचर कैपिटल फर्म सिवन सिक्योरिटीज शुरू की। कंपनी के मुनाफे से उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में कॉफी के बागान खरीदे। इसी समय , उनकी दिलचस्पी अपने पारिवारिक कॉफी कारोबार में भी बढ़ी। वर्ष 1993 में उन्होंने अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी। शुरुआत में कंपनी का सालाना कारोबार छह करोड़ रुपये का था। हालांकि, धीरे - धीरे इसका कारोबार बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। 

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जर्मनी की कॉफी रेस्तरां श्रृंखला चलाने वाली टीचीबो के मालिकों के साथ बातचीत करके सिद्धार्थ इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने देश में कैफे की श्रृंखला खोलने का फैसला किया। सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) का पहला स्टोर 1994 में बेंगलुरू में खोला। यह अब भारत में कॉफी रेस्तरां की सबसे बड़ी श्रृंखला है। वियना और कुआलालंपुर सहित 200 से अधिक शहरों में इसके 1,750 कैफे हैं। सिद्धार्थ , पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एस . एम . कृष्णा के दामाद थे। कारोबारी फोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए सिद्धार्थ ने आईटी क्षेत्र में कदम रखा और ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिडेट की स्थापना की थी। उन्होंने निवेश फर्म सिवन सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ वित्तीय क्षेत्र में भी प्रवेश किया। वह कभी आईटी कंपनी माइंडट्री के सबसे बड़े शेयरधारक थे लेकिन उन्होंने हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया। 

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इस साल मार्च में उन्होंने माइंडट्री में 20.41 प्रतिशत हिस्सेदारी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को बेच दी थी। इससे उन्हें करीब 2,858 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। इस सौदे ने उन्हें कर्ज का भुगतान करने में काफी मदद की। सिद्धार्थ की मुश्किलें सितंबर 2017 में शुरू हुईं। जब आयकर विभाग ने उनसे जुड़े 20 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। कथित तौर पर पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ पर कर्ज बढ़ता जा रहा था। सिद्धार्थ ने सीसीडी के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में कहा है कि उन पर एक निजी इक्विटी लेंडर साझेदार का दबाव है , जो मुझे शेयर वापस खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है। मैंने 6 महीने पहले एक दोस्त से बड़ी रकम उधार लेकर इस लेनदेन का कुछ हिस्सा पूरा किया है। पत्र में आयकर विभाग के एक अधिकारी द्वारा " प्रताडि़त " किए जाने का भी जिक्र है। जिसने माइंडट्री में उनके शेयर कुर्क किए थे।

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