वाजपेयी फार्मूला ही पुन: सत्तासीन कर सकता भाजपा को

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Dec, 2018 11:46 AM

vajpayee formula can re power to bjp

भाजपा को अगर मिशन 2019 को पूरा करना है तो उसे वाजपेयी फार्मूले पर काम करना होगा। स्व. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर अपने साथ क्षेत्रीय दलों को जोड़ा था

जालंधर (बहल, सोमनाथ): भाजपा को अगर मिशन 2019 को पूरा करना है तो उसे वाजपेयी फार्मूले पर काम करना होगा। स्व. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर अपने साथ क्षेत्रीय दलों को जोड़ा था, क्योंकि 1996 में जब भाजपा की 13 दिन की सरकार के समय वे अपने साथ सहयोगियों को नहीं जोड़ पाए और उनकी सरकार गिर गई तब उन्हें यह बात समझ आ गई थी कि बिना सहयोगी दलों के भाजपा अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकती। उस समय के भाजपा के बड़े रणनीतिकार स्व. प्रमोद महाजन जो वाजपेयी के करीबी थे, ने उन्हें एन.डी.ए. बनाने का सुझाव दिया, तब भाजपा ने ए.डी.एम.के., तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना, अकाली दल बादल, नैशनल कांफ्रैंस के साथ गठजोड़ किया और वाजपेयी दोबारा प्रधानमंत्री बने। वर्तमान में इनमें से कई साथी एन.डी.ए. में नहीं हैं। जैसे तृणमूल कांग्रेस, नैशनल कांफ्रैंस, टी.डी.पी., बी.जे.डी. और शिवसेना के साथ भी भाजपा के रिश्ते पहले जैसे नहीं हैं। ऐसे में भाजपा के लिए अब नए सहयोगी लेकर आना मुश्किल हो रहा है।
PunjabKesari
पार्टी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में पार्टी में यह राय बन रही है कि अब एक बार फिर से पार्टी को वापस वाजपेयी फार्मूले पर जाना होगा। जैसे भाजपा की नजरें अब तमिलनाडु में ए.डी.एम.के., इसी तरह से भाजपा की यह भी कोशिश हो सकती है कि तेलंगाना में टी.आर.एस. के साथ फैसला कर ले, जिसकी संभावना कम लग रही है। इसी तरह से उड़ीसा में भाजपा बी.जे.डी. के साथ भी समझौता करने पर विचार कर सकती है। भाजपा काफी समय से ओडिशा में पैर जमाने के प्रयास कर रही है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने पर भी विचार किया जा रहा है लेकिन अब भाजपा को बी.जे.डी. की जरूरत पड़ सकती है। शिवसेना के साथ भी भाजपा को उसकी शर्तों पर समझौता करना पड़ सकता है।
PunjabKesari
कांग्रेस को गठबंधन कर लडऩा होगा चुनाव
2019 लोकसभा चुनाव की घोषणा में 4 महीने का समय बचा है। पिछले 1 साल में 5 बड़े राज्यों गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें भाजपा को मिली सीटों के ट्रैंड से 2019 लोकसभा चुनाव में 16 राज्योंं में उसकी स्थिति का आकलन करें तो पता चलता है कि भाजपा 422 सीटों में से 155 से 165 सीटें ही जीत सकती है। यानी उसे 120 सीटों का नुक्सान संभव है। वहीं, कांग्रेस इन राज्यों में यदि गठबंधन कर चुनाव लड़ती है तो उसे 145 से 150 सीटें मिल सकती हैं। ये पांचों राज्य भाजपा और कांग्रेस के हमेशा से गढ़ रहे हैं। पिछले 30 सालों से इन्हीं दो दलों के बीच सीधा मुकाबला होता आया है। इन 5 राज्यों में 119 लोकसभा सीटें आती हैं। 2014 में भाजपा को यहां 105 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिली थीं। इन नतीजों से निकले ट्रैंड के मुताबिक अब यहां भाजपा को 2019 में 54 सीटें मिल सकती हैं। यानी उसे करीब 51 सीटों का नुक्सान संभव है। कांग्रेस को मौजूदा ट्रैंड से इन राज्यों में 60 सीटें मिल सकती हैं। यानी उसे 50 सीटों का लाभ होगा। इन 5 राज्यों के ट्रैंड के जरिए देश के उन 11 राज्यों का भी आकलन करें, जहां 2014 में भाजपा (बिहार, यू.पी., महाराष्ट्र एन.डी. के घटक भी थे) को 190 यानी 67 प्रतिशत सीटें मिली थीं। इस ट्रैंड से यहां 2019 में भाजपा को करीब 88 सीटों का नुक्सान होता दिख रहा है।
PunjabKesari
16 राज्यों से 78 प्रतिशत सांसद
उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा समेत जिन 16 राज्यों के आंकड़ों का आकलन किया गया है, वहां देश की 422 सीटें आती हैं। यानी 78 प्रतिशत सांसद यहीं से आते हैं। इन राज्यों में 2014 में एन.डी.ए. को 295 सीटें मिली थीं। इनमें से 266 सांसद भाजपा के हैं, जबकि अन्य 29 सांसद उसके सहयोगी दलों के।

3 राज्यों में 65 लोकसभा सीटें
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 65 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में भाजपा ने यहां 62 सीटों पर और कांग्रेस ने सिर्फ 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस का राजस्थान और गुजरात में खाता तक नहीं खुला था, जबकि भाजपा ने यहां क्लीनस्वीप किया था। अगर वोटरों का यही मूड रहा तो 2019 में भाजपा इन 62 सीटों में से महज 27 सीटें ही जीत पाएगी। वहीं, कांग्रेस की सीटें 3 से बढ़कर 37 हो जाएंगी।
PunjabKesari
आगे क्या हो सकता है सियासी परिदृश्य

  •  कांग्रेस लोकसभा चुनाव की लड़ाई राहुल बनाम मोदी बनाने का प्रयास करेगी।
  • 2014 में मोदी के पी.एम. बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने सीधी लड़ाई में भाजपा को हराया है। अब पूरी लड़ाई को राहुल बनाम मोदी दर्शाने में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी।
  •  इन राज्यों में 40 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस आगे हो चुकी है। इस आधार पर लोकसभा चुनाव में सहयोगियों को संगठित करने में आसानी होगी। राहुल की स्वीकार्यता बढ़ेगी।
  • राहुल अब मोदी के खिलाफ बने गुस्से को देशभर में भुनाने की कोशिश करेंगे।

    किन राज्यों में क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ जा सकते हैं 
    राज्य  सीट       दल
    यू.पी 80 सपा-बसपा
    महाराष्ट्र 48 राकांपा
    बंगाल 42 टी.एम.सी
    बिहार 40 आर.जे.डी.
    तमिलनाडु 39 डी.एम.के.
    कर्नाटक 28 जे.डी.एस.
    आंध्र प्रदेश 25 टी.डी.पी.
    तेलंगाना 17 टी.डी.पी.
    झारखंड 14 झामुमो
    हरियाणा 10 इनैलो
    जम्मू-कश्मीर 06 नैका

  • 20 राज्यों में 196 सीटों पर कांग्रेस लड़ सकती है अकेले चुनाव
    कांग्रेस गुजरात, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ केरल, असम, ओडिशा, दिल्ली सहित देश के 20 राज्यों में अकेले चुनाव लड़ सकती है। इन राज्यों में 196 लोकसभा सीटें हैं, जबकि वह यू.पी., बिहार, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में गठबंधन कर सकती है 
    PunjabKesari
    11 सहयोगी दल नाता तोड़ चुके भाजपा से
  • 2014 में 23 दलों के साथ चुनाव में उतरी भाजपा से 11 दल नाता तोड़ चुके हैं। इन चुनावों में हार के बाद भाजपा अब सहयोगियों को साथ रखने और नए सहयोगी जोडऩे के लिए नरम होगी।

    कोर एजैंडे की तरफ लौटेगी भाजपा
    भाजपा राम मंदिर, धारा-370, कॉमन सिविल कोड को लेकर इसी संसदीय सत्र में निर्णायक फैसले करने की सोच सकती है। वहीं कांग्रेस को पुरानी असफलताओं के लिए कोसने के अलावा अपनी उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास करेगी।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!