संघ की विचारधारा से वाजपेयी ऐसे घुले मिले थे जैसे दूध में शक्कर : शिवसेना

Edited By shukdev,Updated: 17 Aug, 2018 09:22 PM

vajpayee got mixed with the ideology of sangh like sugar in milk shivsena

श के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सच्चा ‘स्वयंसेवक’ करार देते हुए शिवसेना ने कहा है कि वह संगठन की विचारधारा से ऐसे घुले मिले थे जैसे ‘दूध में शक्कर’ और उनकी ङ्क्षहदुत्व की विचारधारा छिपी नहीं थी।...

मुंबई: देश के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सच्चा ‘स्वयंसेवक’ करार देते हुए शिवसेना ने कहा है कि वह संगठन की विचारधारा से ऐसे घुले मिले थे जैसे ‘दूध में शक्कर’ और उनकी ङ्क्षहदुत्व की विचारधारा छिपी नहीं थी। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि वाजपेयी ने ईमानदारीपूर्वक पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया, लेकिन उनके जैसे भद्र पुरुष को पड़ोसी मुल्क से धोखा मिला। संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने जुड़ाव का हवाला देते हुए वाजपेयी ने एक बार अमरीका में कहा था कि कल वह प्रधानमंत्री नहीं होंगे लेकिन कोई भी व्यक्ति उनके स्वयंसेवक होने के अधिकार को छीन नहीं सकता है।

शिवसेना ने कहा है कि वाजपेयी की हिन्दुत्व की विचारधारा कभी छिपी नहीं थी। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल को छोड़कर कोई भी राजनीतिक दल उनके हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं था, यही वजह थी कि ‘राम मंदिर’ और ‘समान नागरिक संहिता’ को एक तरफ रखना पड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री का लंबी बीमारी के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में गुरुवार को निधन हो गया था। 93 साल के वाजपेयी ने शाम पांच बज कर पांच मिनट पर आखिरी सांस ली। वर्ष 2002 में वाजपेयी के गोवा में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने के लिए वाजपेयी ने कड़ी मशक्कत की।

वाजपेयी के निधन को एक ‘युग का अंत’ करार देते हुए भाजपा के पुराने सहयोगी ने कहा कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बाद वाजपेयी सबसे अधिक ख्याति प्राप्त नेता थे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के गठन का श्रेय वाजपेयी को देते हुए शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री की वजह से ही अलग अलग विचाराधारा, सोच वाले लोगों ने एक साथ आकर गठबंधन किया था। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी ने कृषि उत्पाद बढाने के लिए किसानों के बीच भरोसा पैदा किया। संपादकीय में कहा गया है, ‘आज किसानों की स्थिति और उनकी आत्महत्या की घटनाओं को देख कर, वाजपेयी की किसान हितैषी नीतियों के लिए प्रत्येक आदमी उन्हें याद करता है।’ 

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