वाजपेयी काशीराम को राष्ट्रपति तो कलाम को बनाना चाहते थे कैबिनेट में मंत्री

Edited By Yaspal,Updated: 17 Aug, 2018 08:33 PM

vajpayee kashiram wanted to make kalam as president minister in cabinet

रत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज पंचतत्व में विलीन हो गए। वे एक ऐसे राजनेता थे, जो सबको साथ लेकर चलते थे। हर पार्टी में, हर विचारधारा के लोग उनके मित्र थे। उनकी एक दिलचस्प कहानी काशीराम और एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी हुई है।

नेशनल डेस्कः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज पंचतत्व में विलीन हो गए। वे एक ऐसे राजनेता थे, जो सबको साथ लेकर चलते थे। हर पार्टी में, हर विचारधारा के लोग उनके मित्र थे। उनकी एक दिलचस्प कहानी काशीराम और एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी हुई है। अटल जी काशीराम को राष्ट्रपति और कलाम को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाना चाहते थे। लेकिन दोनों शख्सियतों ने अटल के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। न कलाम मंत्री बनने को राजी थे और न काशीराम राष्ट्रपति बनने को। दोनों के साथ अटल जी का संबंध लगातार बना रहा।

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काशीराम की जीवनी काशीरामः द लीडर ऑप दलित्स लिखने वाले बद्रीनारायण कहते हैं हां ये बात सही है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने काशीराम को राष्ट्रपति बनने का ऑफर दिया था। यह उस वक्त की बात है, जब यूपी में बसपा-भाजपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। उस वक्त दोनों दलों में अच्छे संबंध थे। वाजपेयी के ऑफर के बारे में खुद काशीराम कहा करते थे।

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नारायण के मुताबिक, वाजपेयी के प्रस्ताव को काशीराम ने इसलिये ठुकरा दिया था क्योंकि वे जानते थे कि असली पावर राष्ट्रपति में नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के पद में है। वह जानते थे कि राष्ट्रपति बनाकर उन्हें चुपचाप बिठा दिया जाएगा। इसके लिए वह तैयार नहीं थे। इसलिए तब काशीराम ने वाजपेयी से कहा था कि वह राष्ट्रपति नहीं बल्कि प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।

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काशीराम का नारा था, “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” वह देश के दलितों को सत्ता का केंद्र बिंदु बनाना चाहते थे। ऐसे में वह केवल राष्ट्रपति बनकर मूक नहीं बनना चाहते थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वाजपेयी काशीराम के लक्ष्य को समझ नहीं पाए। काशीराम का उद्देश्य देश के सभी दलित समाज को उच्च पदों पर आसीन करना था और उन्होंने मायावती को देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाकर अपने सपने को सच भी कर दिखाया था। काशीराम ने अछूतों और दलितों के राजनीतिक एकीकरण के लिए जीवनभर काम किया था। समाज के दबे कुचले वर्ग के लिए एक ऐसी जमीन तैयार की जहां पर वे अपनी बात कह सकें।

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दूसरी ओर 1998 में वाजपेयी जब दूसरी बार प्रधानमंत्र बने तो शपथ लेने से पहले उन्होंने मिसिलमैन ऐपीजे अब्दुल कलाम से उन्हें मंत्री बनाने के लिए मुलाकात की। लेकिन कलाम ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अटल जी उन्हें अपनी कैबिनेट में लेना चाहते थे। लेकिन कलाम ने वैज्ञानिक के रूप में काम करना मंजूर किया था। अटल के वैज्ञानिक सलाहकार रहते हुए उन्होंने परमाणु परीक्षण करवाया। बाद में कलाम को वाजपेयी ने राष्ट्रपित बनवाया।

 

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