Edited By Yaspal,Updated: 08 Dec, 2018 11:39 PM
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नेताओं के खिलाफ बड़ी संख्या में दर्ज आपराधिक मामलों के लंबित रहने पर चिंता जताई और कहा कि इनपर त्वरित सुनवाई होनी चाहिए। राष्ट्रपति रामनाथ...
नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नेताओं के खिलाफ बड़ी संख्या में दर्ज आपराधिक मामलों के लंबित रहने पर चिंता जताई और कहा कि इनपर त्वरित सुनवाई होनी चाहिए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चुनिंदा भाषण के दो खंड को जारी किये जाने के दौरान नायडू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक संवाद की गुणवत्ता में गिरावट आई है और राजनीतिक दलों से अपने सदस्यों के लिए आचार संहिता पर सर्वसम्मति बनाने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नेताओं के खिलाफ मामले की त्वरित सुनवाई हो। यह वास्तव में गंभीर चिंता का विषय है कि नेताओं के खिलाफ तकरीबन 4000 मामले लंबित हैं। विशेष अदालतों का गठन होना चाहिए और प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आज जो हमारी व्यवस्था है उसे और बेहतर बनाने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधियों के पास चरित्र, क्षमता, आचरण और क्षमता होनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक संवाद की गुणवत्ता गिरी है। ऐसा नहीं होना चाहिए। हम सब याद रखें कि हम सब सार्वजनिक जीवन में हैं...हम प्रतिद्वंद्वी हैं, दुश्मन नहीं।’’
उपराष्ट्रपति नायडू ने दो किताबों का विमोचन किया। इसमें किताब ‘द रिपब्लिकन एथिक्स’ राष्ट्रपति के पद संभालने के पहले वर्ष में कुल 243 संबोधन में 95 चुनिंदा भाषणों का संग्रह है। किताब ‘लोकतंत्र के स्वर’ हिंदी में 109 भाषणों का संग्रह है।