Edited By Utsav Singh,Updated: 07 Aug, 2024 07:53 PM
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर लिया और स्थिति यह हो गई की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा तो देना ही पड़ा साथ ही साथ उनको अपना देश तक छोड़ना पड़ गया। इस बीच, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बांग्लादेश में...
नेशनल डेस्क : बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर लिया और स्थिति यह हो गई की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा तो देना ही पड़ा साथ ही साथ उनको अपना देश तक छोड़ना पड़ गया। इसके परिणामस्वरूप, बांग्लादेश में हालात बेहद बिगड़ गए हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बांग्लादेश में चल रहे हंगामे पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वही भारत में भी हो सकता है। उनके अनुसार, भले ही सतह पर हालात सामान्य लग रहे हों, लेकिन भारत में भी बांग्लादेश की तरह हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शन संभव हैं।
किताब के विमोचन के दौरान बयान
एक किताब के विमोचन के अवसर पर, सलमान खुर्शीद ने कश्मीर और भारत के मौजूदा हालात पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, "कश्मीर में सब कुछ सामान्य नजर आ सकता है, और यहां भी हालात सामान्य दिख सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सतह के नीचे बहुत कुछ हो रहा है।"
2024 के चुनाव और शाहीन बाग का जिक्र
खुर्शीद ने आगामी 2024 के चुनावों के संदर्भ में भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि इस वर्ष की सफलता मामूली हो सकती है और बहुत कुछ करना बाकी है। इसके अलावा, उन्होंने शाहीन बाग में हुए सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि यह आंदोलन लगभग 100 दिनों तक चला और पूरे देश में इसी तरह के आंदोलनों को प्रेरित किया। हालांकि, उन्होंने इसे एक असफल आंदोलन करार दिया क्योंकि इसमें भाग लेने वाले कई लोग अब भी जेल में हैं।
शाहीन बाग आंदोलन की असफलता पर टिप्पणी
सलमान खुर्शीद ने यह भी कहा कि शाहीन बाग आंदोलन सफल नहीं रहा, क्योंकि इस आंदोलन के कई सहभागी अब भी जेल में हैं और उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह उचित है कि उन लोगों को देश का दुश्मन माना जाए जो इस आंदोलन में शामिल थे।
नए आंदोलनों की संभावनाएं
सलमान खुर्शीद ने यह भी संकेत दिया कि वर्तमान हालात और सरकार की नीतियों के चलते देश में शाहीन बाग जैसे आंदोलन की पुनरावृत्ति की संभावना कम है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में ऐसी स्थितियों की संभावना और भी बढ़ सकती है।