कारगिल युद्ध: जहां शहीद हुए थे कैप्टन विक्रम बत्रा, वहां पहुंच भाई ने फहराया तिरंगा

Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Jul, 2019 02:08 PM

vishal batra tricolor hoisted where captain vikram batra was martyr

परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे। शहीद कैप्टन बत्रा ने करगिल युद्ध में अदम्य शौर्य दिखाया था।

द्रास: परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे। शहीद कैप्टन बत्रा ने करगिल युद्ध में अदम्य शौर्य दिखाया था। उन्होंने कारगिल की पॉइंट 4875 से दुश्मनों को खदेड़कर तिरंगा लहराया था। जिस चोटी पर कैप्टन बत्रा शहीद हुए थे वहां उनके भाई विशाल बत्रा ने शहादत दिवस पर तिरंगा फहराया। कैप्टन विक्रम जहां शहीद हुए थे सरकार ने उसे बत्रा टॉप का नाम दिया है। बत्रा टॉप पर तिरंगा फहराते हुए विशाल की आंखे नम हो गईं। उन्होंने वहां पहुंचते ही सबसे पहले अपने माता-पिता को फोन किया और रुंधे हुए गले से सिर्फ इतना कहा, 'मैं वहां पहुंच गया हूं पापा...।' विशाल ने बताया कि वे कारिगल और द्रास सेक्टर में करीब 15 बार गए।
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इस दौरान हर बार उन्होंने चाहा कि उन्हें अपने भाई की याद में बने बत्रा टॉप (4875) पर जाने का मौका मिले पर ऐसा हो नहीं पाया। काफी लंबे इंतजार के बाद आखिरकार विक्रम बत्रा की शहीदी दिवस पर रविवार को विशाल बत्रा टॉप पर गए। कैप्टन बत्रा के शहीदी दिवस पर रविवार को 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वीके जोशी, 13 जम्मू ऐंड कश्मीर राइफल्स, अन्य सैन्य अधिकारी और अपनी यूनिट के कमांडिंग अफसर के साथ विशाल को अपने भाई के शहादत स्थल पर तिरंगा लहराने का मौका मिला। इस दौरान विशाल ने कहा कि मैं इमोशनल हो गया पर माता-पिता से कुछ ज्यादा नहीं कह पाया पर शायद मैं उनसे कहना चाह रहा था कि ...ये दिल मांगे मोर।'
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'विक्रम हमेशा कहते थे, ये दिल मांगे मोर'
लेफ्टिनेंट जनरल वीके जोशी बताया कि विशाल इसलिए भावुक है क्योंकि यह बात (ये दिल मांगे मोर...) उसके भाई विक्रम ने युद्ध के दौरान कही थी। जनरल वीके जोशी ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा कब्जे में लिए गए एक और चोटी 5140 को फतह करने का जब निर्देश आया तो मैंने विक्रम से पूछा था कि कोड वर्ड क्या होगा, तब विक्रम ने कहा था, 'ये दिल मांगे मोर...'। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा कि हालांकि मैंने यह मजाक में लिया और पूछा कि यह शब्द क्यों, तब विक्रम ने कहा था कि मैं सिर्फ एक नहीं बल्कि अधिक से अधिक पाकिस्तानी बंकरों पर कब्जा करना चाहता हूं। इसलिए जब भी वह सफल होता था, हर बार यह दोहराता था...ये दिल मांगे मोर..।'
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वहीं विशाल ने कहा कि मेरे लिए वह जगह तीर्थस्थल की तरह है जहां मेरा भाई शहीद हुआ। उन्होंने कहा कि भले ही विक्रम यहां शारीरिक रूप से मौजूद नहीं है लेकिन विश्वास है कि वह यहीं कहीं पहाड़ों में रहकर हम सबकी सुरक्षा कर रहा है। विशाल ने कहा कि मेरा विश्वास है कि सैनिक कभी मरते नहीं। बता दें कि शहीद विक्रम बत्रा अपनी साथी ऑफिसर की जान बचाते हुए कारगिल युद्ध में शहीद हो गए।

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