Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Jun, 2018 09:54 AM
जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार के पतन के साथ ही राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया है। अब सभी की निगाहें राज्यपाल एन.एन. वोहरा पर टिकी हुई हैं। वोहरा के 10 साल का कार्यकाल 24 जून, 2018 को खत्म हो रहा है। शुरू में उनको 25 जून, 2008 को...
नेशनल डेस्कः जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार के पतन के साथ ही राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया है। अब सभी की निगाहें राज्यपाल एन.एन. वोहरा पर टिकी हुई हैं। वोहरा के 10 साल का कार्यकाल 24 जून, 2018 को खत्म हो रहा है। शुरू में उनको 25 जून, 2008 को 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। मगर 13 अप्रैल, 2013 को उन्हें 5 वर्ष के लिए दोबारा नियुक्त किया गया। अब उनका कार्यकाल 24 जून को खत्म होने जा रहा है और इस संदर्भ में बहुत से नामों पर चर्चा की जा रही थी, मगर उनको एक और कार्यकाल दिया जा सकता है।
राजधानी में इन खबरों को लेकर चर्चा है कि मोदी सरकार ने नए राज्यपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मगर वोहरा की किस्मत में कुछ और ही लिखा है। साऊथ ब्लाक के नौकरशाहों का विचार है कि उपद्रवग्रस्त राज्य में स्थिति से निपटने में सक्षम और अनुभवी राजनेता को ही राज्यपाल नियुक्त किया जाना चाहिए। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर वोहरा को बदलने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए और घाटी में स्थिति शांत होने देनी चाहिए।
मोदी सरकार नहीं चाहती कि राज्य में कोई नया गठबंधन उभरे और विधानसभा आशा के विपरीत शीघ्र ही भंग की जा सकती है। इसलिए एन.एन. वोहरा राज्यपाल पद पर बने रह सकते हैं। कुछ का कहना है कि वह ‘लाट साहब’ हैं