क्या राहुल गांधी ने चुरा लिया देश के सबसे बड़े चौकीदार मोदी का कांसैप्ट?

Edited By Pardeep,Updated: 30 Mar, 2019 03:43 AM

was rahul gandhi stole the country s biggest chowkidar modi s concept

आपको जानकर ताज्जुब होगा कि देश के बजट सत्र से पहले मोदी सरकार जिस कांसैप्ट पर काम कर रही थी वह चोरी हो गया है। यहां बात कर रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस चुनावी ऐलान की जिसमें देश के गरीबों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72 हजार रुपए...

नेशनल डेस्क: आपको जानकर ताज्जुब होगा कि देश के बजट सत्र से पहले मोदी सरकार जिस कांसैप्ट पर काम कर रही थी वह चोरी हो गया है। यहां बात कर रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस चुनावी ऐलान की जिसमें देश के गरीबों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72 हजार रुपए दिए जाने की बात कही जा रही है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार इस अंतरिम बजट से पहले न्यूनतम मासिक आय यूनिवर्सल बेसिक इंकम (यू.बी.आई.) कांसैप्ट पर काम कर रही थी। इसके तहत देश के सबसे गरीब 25 प्रतिशत परिवारों को 7620 रुपए वाॢषक दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया था। आर्थिक बोझ को कम करने के लिए इसके एवज में सरकार को कई तरह की सबसिडी वापस लेनी पड़ रही थी जिसके चलते मोदी सरकार ने यू.बी.आई. को लागू करने से अपने हाथ पीछे खींच लिए। इस योजना को लागू करने से राजकोष पर 7 लाख करोड़ रुपए का भार पडऩे का अनुमान था।

क्या सरकार चूक गई?
यू.बी.आई. के तहत देश के 20 करोड़ गरीब लोगों को डायरैक्ट कैश ट्रांसफर से पैसा मुहैया करवाया जा सकता था। साल 2016-17 के आॢथक सर्वे में इस योजाना का जिक्र है और इसे लागू करने की पू्र्व वित्तीय सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन ने भी सिफारिश की थी। इसके बारे में सरकार ने कई संबद्ध मंत्रालयों को अपनी राय देने को भी कहा था। मोदी सरकार इस मसले पर चूक गई और कांग्रेस ने सियासी अखाड़े में इसे न्यूनतम आय गारंटी की संज्ञा देकर अपना हथियार बना लिया।  चुनावी समर में राहुल गांधी ने कहा कि ‘‘हम 12000 रुपए महीने की आय वाले परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी देंगे। कांग्रेस गारंटी देती है कि वह देश में 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों में से प्रत्येक को हर साल 72,000 रुपए देगी। यह पैसा उनके बैंक खाते में सीधा डाल दिया जाएगा।’’ 

क्या है न्यूनतम मासिक आय (यू.बी.आई.)
लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर गाय स्टैंडिंग गरीबी हटाने के लिए एक प्रस्ताव लाए थे जिसमें उन्होंने कहा था कि गरीबी हटाने के लिए कुछ समयावधि के लिए एक निश्चित धनराशि देश के अमीरों और गरीबों दोनों के ही खातों में ट्रांसफर की जानी चाहिए जिससे उन्हें इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसी भी तरह का सबूत दस्तावेज के तौर पर सरकार को न देना पड़े। प्रो. स्टैंङ्क्षडग की थ्योरी के अनुसार भारत में यू.बी.आई. को लागू करने पर जी.डी.पी. का 3 से 4 प्रतिशत खर्च होगा जबकि वर्तमान में सरकार जी.डी.पी. का 4 से 5 फीसदी सबसिडी पर खर्च कर रही है। 

यू.बी.आई. और सबसिडी एक साथ नहीं चल सकते
2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में यू.बी.आई. का जिक्र करते हुए 40 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसमें कहा गया था कि यू.बी.आई. से भारत में गरीबी को खत्म किया जा सकता है। प्रो. स्टैंडिंग के मुताबिक यू.बी.आई. और सबसिडी दोनों साथ चलाना मुमकिन नहीं है। दोनों को साथ चलाने से सरकार का वित्तीय प्रबंधन कमजोर हो सकता है। सबसिडी की जगह निश्चित रकम सीधे लोगों के खाते में जाती रहेगी। आर्थिक सर्वे 2016-17 में भी योजना को लागू करने के लिए पहला सुझाव सबसे गरीब 75 प्रतिशत आबादी को लाभ दिए जाने का था, इसमें कहा गया था कि इस पर जी.डी.पी. का 4.9 प्रतिशत हिस्सा खर्च होगा। 

8 गांवों में हो चुका है न्यूनतम आय गारंटी का प्रयोग
भारत में 1938 में भी देश में आय की गारंटी देने की योजना पर विचार किया जाने लगा था। 1964 में सरकार ने इसे लागू करने के प्रयास किए लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाए। इसके बाद इसे मध्य प्रदेश के इंदौर की एक पंचायत के 8 गांवों में पायलट प्रोजैक्ट के रूप में 2010 से 2016 तक शुरू किया गया था। यूनिवर्सल बेसिक इंकम के 6000 लोगों को इस योजना का हिस्सा बनाया गया। पुरुष और महिलाओं को 500 व बच्चों को भी हर महीने 150 रुपए दिए जाने लगे। सिक्किम सरकार ने राज्य में यू.बी.आई. लागू करने का प्रस्ताव रखा है। यदि सिक्किम सरकार ऐसा करने में सफल हो जाती है तो ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य होगा।

इन देशों में भी किया गया प्रयोग
अमरीका के कैलिफोर्निया के स्टाकटन में यू.बी.आई. के तहत लोगों को 500 रुपए प्रति माह डेढ़ साल तक दिए जाने का प्रस्ताव है। फिनलैंड ने जनवरी 2017 में 25 से 58 वर्ष के 2000 लोगों को यू.बी.आई. के तहत 2 साल तक 560 यूरो प्रति माह दिए। अफ्रीका के केन्या में यू.बी.आई. का सबसे बड़ा प्रयोग चल रहा है। इसमें लगभग 120 गांवों के सभी 16 हजार से अधिक लोगों के खाते में निश्चित राशि ट्रांसफर की जा रही है। ब्राजील और ईरान ने भी इसी तरह की योजना चलाई है।  
        

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