Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Oct, 2024 11:57 AM
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भारी प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर जल संकट पर ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक वैश्विक GDP में औसतन 8% की गिरावट हो...
नेशनल डेस्क: एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भारी प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर जल संकट पर ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक वैश्विक GDP में औसतन 8% की गिरावट हो सकती है, जबकि कम आय वाले देशों में यह गिरावट 15% तक पहुंच सकती है। यह संकट सिर्फ आर्थिक नहीं है, बल्कि खाद्य उत्पादन और जीवन के हर क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव डालेगा।
विशेषज्ञों के समूह ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर द्वारा पेश की गई नई रिपोर्ट में जल संकट के गंभीर प्रभावों का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट से वैश्विक खाद्य उत्पादन का 50% से अधिक हिस्सा खतरे में है, और यह संकट 2050 तक देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में औसतन 8% की कमी ला सकता है। वहीं, कम आय वाले देशों में 15% तक नुकसान की संभावना जताई गई है।
जल चक्र में असंतुलन का प्रभाव
मानव गतिविधियों से हो रहे जलवायु परिवर्तन, भूमि उपयोग और जल कुप्रबंधन ने पहली बार वैश्विक जल चक्र को असंतुलित कर दिया है। रिपोर्ट में इसे एक 'अपूर्व दबाव' करार देते हुए चेतावनी दी गई है कि इसका असर जल आपदा के रूप में सामने आ सकता है, जो अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था, खाद्य उत्पादन और जीवन पर व्यापक प्रभाव डालेगा।
जल संकट के कारण
वैश्विक जल चक्र में असंतुलन का मुख्य कारण भूमि उपयोग में परिवर्तन, जल कुप्रबंधन, और जलवायु परिवर्तन हैं। इन कारकों ने जल आपूर्ति पर अभूतपूर्व दबाव डाला है। नतीजतन, जल स्रोतों में कमी हो रही है और दुनिया की 3 अरब से अधिक आबादी पहले से ही पानी की कमी से जूझ रही है।
जल की कमी से जूझ रहे लोग
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनियाभर में करीब 3 अरब लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। खेती की फसलें मुरझा रही हैं और शहरों के नीचे का भूजल सूख रहा है। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह संकट और विकराल रूप ले सकता है।
जल चक्र के प्रति साझा दृष्टिकोण की जरूरत
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि वैश्विक जल चक्र को एक 'साझा हित' के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि एक देश में लिए गए निर्णय अन्य देशों में जल आपूर्ति और वर्षा को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, जल संकट का समाधान केवल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और प्रदूषण में कटौती के माध्यम से ही संभव है।
'हरे पानी' की महत्ता
रिपोर्ट में जल चक्र के हरे पानी (मिट्टी और पौधों में संग्रहीत नमी) को भी अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। यह पानी वायुमंडल में वापस जाकर कुल वर्षा का लगभग आधा हिस्सा उत्पन्न करता है, जो कृषि और वनस्पति के लिए अनिवार्य है। लेकिन आर्द्रभूमि और जंगलों के विनाश ने इस प्रक्रिया को बाधित कर दिया है, जिससे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा और बढ़ रहा है।
समाधान के सुझाव
विशेषज्ञों ने जल संकट से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने, प्राकृतिक संसाधनों के सही प्रबंधन और पानी के दुरुपयोग को रोकने की अपील की है। जल का संरक्षण करने और इसे साझा संसाधन के रूप में पहचानने से ही इस संकट का समाधान निकाला जा सकता है। इस रिपोर्ट ने जल संकट की गंभीरता को रेखांकित किया है और देशों को तुरंत ठोस कदम उठाने का संदेश दिया है।