Edited By Monika Jamwal,Updated: 30 May, 2018 11:45 AM
हुर्रियत नेताओं से बात करने को लेकर सरकार द्वारा नरमी के संकेत देने के बाद अब हुर्रियत नेताओं ने भी सरकार से बात करने पर सहमति जताई है लेकिन उन्होंने पहले भारत सरकार से बातचीत को लेकर रुख साफ करने को कहा है।
श्रीनगर : हुर्रियत नेताओं से बात करने को लेकर सरकार द्वारा नरमी के संकेत देने के बाद अब हुर्रियत नेताओं ने भी सरकार से बात करने पर सहमति जताई है लेकिन उन्होंने पहले भारत सरकार से बातचीत को लेकर रुख साफ करने को कहा है। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवायज फारुख और यासीन मलिक के संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जे.आर.एल.) ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि हम कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार हंै लेकिन नई दिल्ली को भी पहले इस पर अपना रुख साफ करना होगा। गिलानी के घर पर चली इस बैठक के बाद हुर्रियत नेताओं ने ये बयान जारी किया।
बयान में कहा गया कि पिछले कुछ दिनों में सरकार की तरफ से अलग-अलग तरह के बयान सामने आए हैं। जहां एक तरफ राजनाथ सिंह कहते हैं कि कश्मीर और पाकिस्तान दोनों से बातचीत के लिए वो तैयार हैं लेकिन कश्मीर और कश्मीरी दोनों हमारे हैं। तो वहीं सुषमा स्वराज कहती हैं कि जब तक आतंक नहीं रुकता पाकिस्तान से कोई वार्ता नहीं की जाएगी। वहीं अमित शाह कहते हैं कि सीजफायर आतंकियों के लिए नहीं है। वहीं राज्य पुलिस के डीजी कहते हैं ये आतंकियों के लिए है जो वापस घर आना चाहते हंै। इतनी अस्पष्टता के माहौल में समझ पाना मुश्किल है कि क्या किसी उद्देश्य के साथ गंभीरता से बातचीत करनी है या कोई प्रतिक्रिया स्वरूप बात करती है।
कश्मीर समस्या का भी इतिहास है
ये संयुक्त बयान उस समय आया है जब कुछ दिन पहले ही अपने कश्मीर दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी नजर में कश्मीर समस्या का रामबाण इलाज विकास है और उसके लिए शांति जरूरी है। उनके इस बयान पर हुर्रियत नेताओं ने कहा है कि कश्मीर समस्या की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। जिसके चलते यहां लाखों की सेना तैनात है। एलओसी पर युद्ध जैसी स्थिति है ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की ये बात लोगों के साथ सिर्फ मजाक है।