Edited By Anil dev,Updated: 23 Dec, 2019 11:41 AM
लोकसभा चुनाव (General Election) 2019 से ठीक 1 साल पहले जब एनडीए सरकार (NDA Government) केंद्र में 4 साल पूरे होने पर जश्न की तैयारी में जुटी थी तो विपक्षी पार्टियां कर्नाटक (Karnataka) की राजधानी बेंगलुरु से मोदी सरकार (Modi Government) को ललकार रही...
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (General Election) 2019 से ठीक 1 साल पहले जब एनडीए सरकार (NDA Government) केंद्र में 4 साल पूरे होने पर जश्न की तैयारी में जुटी थी तो विपक्षी पार्टियां कर्नाटक (Karnataka) की राजधानी बेंगलुरु से मोदी सरकार (Modi Government) को ललकार रही थी। उस समय विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेता कुमारस्वामी सरकार (Kumarswami Government) का गवाह बनने कम और बीजेपी (Bjp) की सरकार बनाने में असफल होने पर खुशी मनाने के लिए ज्यादा एकत्रित हुए थे। भले ही वह मौका कुमारस्वामी के सरकार के गठन का हो लेकिन इन विपक्षी सूरमाओं का नजर असल में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर था। उस दिन मंच से एक तीर दो निशाने पर चल रहा था- एक जहां विपक्षी पार्टी अपनी एकता का प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरा पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को सत्ता से उखाड़ने का एक तरह से प्रण भी लिया जा रहा था।
राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हुई करारी हार
पिछले साल 2018 के अंत में जब 3 राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की वर्षों से रही सरकारों का एक झटके में अंत हुआ तो तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत थी। आलम तो ये था कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2- 2 बार से लगातार सरकारें बीजेपी बना रही थी। लेकिन शिवराज, रमण सिंह और वसुंधरा की हार से ज्यादा यह हार पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की थी। बीजेपी के इन द्वय शीर्ष नेताओं के चेहरे पर शिकन स्पष्ट दिखने लगा था।
नरेंद्र मोदी के विकल्प बनने की एनडीए में होने लगी होड़
उसी समय बीजेपी में एक धड़ा जो मोदी-शाह की राजनीतिक शैली से खुश नहीं था उनके चेहरों पर मुस्कान आखिर सरकार के अंतिम लम्हों में वापस आ ही गया। यहां तक कि पार्टी के अंदर सुगबुगाहट तेज हुई और इस समीकरण पर चर्चा होने लगी कि जब मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन नहीं हो पाएगा तो विकल्प क्या- क्या होंगे? कुछ नेता जो संघ के काफी करीबी थे उन्होंने अपने-आप को मोदी सरकार की पॉलिसी से दूरी बनाने लगे और नरेंद्र मोदी की जगह सभी दलों में स्वीकार्य पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुट गए।
मोदी सरकार के वापसी की उम्मीद हो गई क्षीण तो...
इसके अलावा एनडीए के घटक दलों के नेता भी गुणा-भाग में लग गए और इस उम्मीद को पालने लगे कि शायद उम्र के आखिरी पड़ाव में ही सही पीएम बनने का सपना पूरा हो जाएगा। उधर चंद्रबाबू नायडू को लगा कि मोदी सरकार फिर से वापस नहीं आएगी तो यूपीए में अपनी सीट पक्की करने एनडीए को छोड़ने वाले पहले नेता साबित हुए।
कांग्रेस और राहुल गांधी में लौट आया आत्मविश्वास
लेकिन बीजेपी नेता नितिन गडकरी हो या चंद्रबाबू नायडू या कोई और, यहां तक कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी आत्मविश्वास से लबरेज हो गई थी कि इस बार नरेंद्र मोदी का तो जाना तय है। लेकिन वही हुआ जो देश की जनता को फिर से मंजूर था। जब 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव परिणाम आए तो पता नहीं कितने नेता के पैरों के नीचे की जमीन खिसक चुकी थी। फिर से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार जबरदस्त तरीके से वापसी की। यह चुनाव परिणाम चौंकाने वाला इसलिये रहा कि बीजेपी को अकेले 303 सीटें आई जो जरूरी बहुमत से ज्यादा था। देश के सभी राजनीतिक पंडित अवाक थे। मीडिया भौंचक था।
नरेंद्र मोदी ने रचा इतिहास
फिर से इतिहास रचा गया। नरेंद्र मोदी दुबारा ताकतवर नेता बनकर उभरे। अमित शाह चाणक्य बनकर देश में स्थापित हो गए। नरेंद्र मोदी ने बहुत ही भव्य तरीके से फिर से पीएम पद की शपथ ली। मोदी के खास सिपहसालार अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया। नरेंद्र मोदी का जादू सर चढ़कर बोलने लगा। नरेंद्र मोदी के आभा के सामने पूरा विपक्ष बौना का बौना साबित हुआ। यहां तक कि मोदी का कद खुद अपनी पार्टी बीजेपी से बड़ा हो गया।
मोदी- शाह की जोड़ी रही हिट
अब जबकि तय हो गया कि अगले 5 साल के लिये देश में पीएम नरेंद्र मोदी ही रहेंगे तो अब तक मोदी सरकार के फैसले पर चर्चा भी जल्द ही आपके सामने प्रस्तुत होंगे। लेकिन साल 2019 देश के इतिहास में कई मायने में दर्ज हो गया है। लगभग 30 साल बाद कोई सरकार ने केंद्र में दुबारा बहुमत लेकर सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। देश भगवा के रंग में तब्दील हो गया है। मोदी के तान पर देश थिरकने को तैयार हो चुका है। उसका एक बानगी खुद लोकसभा चुनाव है।