Edited By Yaspal,Updated: 03 Jul, 2019 07:08 PM
ममता बनर्जी सरकार की तरफ से अनारक्षित श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा करने से पश्चिम बंगाल उच्चतम न्यायालय द्वारा तय 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा...
कोलकाताः ममता बनर्जी सरकार की तरफ से अनारक्षित श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा करने से पश्चिम बंगाल उच्चतम न्यायालय द्वारा तय 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार करने वाला चौथा राज्य बन गया है। मंगलवार को की गई यह घोषणा केंद्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा छह माह पहले स्वीकृत इसी तरह के प्रस्ताव के बाद आई है।
बंगाल ने अब तक सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में 45 प्रतिशत आरक्षण दिया है। अनुसूचित जाति के लिए 22 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए छह प्रतिशत और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए 17 प्रतिशत आरक्षण दिया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार के अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जोड़ने के फैसले से कुल आरक्षण उच्चतम न्यायालय द्वारा अनिवार्य 50 प्रतिशत की सीमा को पार करता है।
इसके अलावा तीन अन्य राज्यों में महाराष्ट्र ने इससे पहले शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 68 प्रतिशत दिया जिसमें से 16 प्रतिशत आरक्षण मराठा लोगों के लिए है। मंत्रिमंडल द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किए जाने के बाद महाराष्ट्र सबसे अधिक 78 प्रतिशत आरक्षण देने वाला राज्य बन गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा को आश्वासन दिया कि राज्य में 69 प्रतिशत आरक्षण जारी रहेगा जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का फैसला राजनीतिक पार्टियों की सर्वसम्मति के बाद लिया जाएगा। तेलंगाना विधानसभा ने इससे पहले मुस्लिमों में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में 12 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले विधेयक को स्वीकार किया। विधेयक के बाद से आरक्षण की मात्रा 62 प्रतिशत पर पहुंच गई।