Edited By Anil dev,Updated: 07 Mar, 2020 12:19 PM
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना में सरकारी-सहायता प्राप्त कालेजों व यूनिवॢसटियों में नौकरी की इच्छा रखने वाले प्रत्याशियों से उनके मूल देश की जानकारी मांगी गई है। इस अधिसूचना से अध्यापकों के संगठनों में हलचल मच गई है और उन्होंने...
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना में सरकारी-सहायता प्राप्त कालेजों व यूनिवॢसटियों में नौकरी की इच्छा रखने वाले प्रत्याशियों से उनके मूल देश की जानकारी मांगी गई है। इस अधिसूचना से अध्यापकों के संगठनों में हलचल मच गई है और उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया है। पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा विभाग की ओर से फरवरी के अंतिम सप्ताह में जारी इस अधिसूचना में इच्छुक प्रत्याशियों से कहा गया है कि उन्हें बताना होगा कि क्या वे मूल रूप से पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल या किसी और देश से हैं? प्रत्याशियों को यह भी बताना होगा कि वे मूल देश से आने के बाद किस जगह रह रहे हैं?
अधिसूचना में प्रत्याशियों से मैडीकल सर्टीफिकेट देने को कहा गया है जिसमें पुरुषों की छाती की चौड़ाई और महिलाओं के गर्भाशय (यूटरस) और अंडाशय (ओवरी) के सामान्य तौर पर स्वस्थ होने को प्रमाणित किया गया हो। यह अधिसूचना ऐसे समय में आई है जब पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. का कड़ा विरोध कर रही है। उधर, अध्यापक संगठनों ने सरकार से इस अधिसूचना पर हैरानी जताते हुए राज्य सरकार से इसे वापस लेने की मांग करते हुए अन्य संगठनों को साथ लेकर सड़कों पर उतरने की धमकी दी है।