Edited By Utsav Singh,Updated: 07 Aug, 2024 02:25 PM
बांग्लादेश में हाल के दिनों में भारी हिंसा और प्रदर्शन के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब हम देखेंगे कि किन मुद्दों ने बांग्लादेश को इस स्थिति में पहुंचाया और क्यों शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद और देश भी...
बांग्लादेश : बांग्लादेश में हाल के दिनों में भारी हिंसा और प्रदर्शन के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सैन्य हेलीकॉप्टर से भारत की ओर रवाना होकर अपने आधिकारिक आवास, बंग भवन, को दोपहर 2:30 बजे छोड़ दिया है। अब शेख हसीना का विमान भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ है। यहां भारत के विदेश मंत्रालय से किसी के उनसे मिलने की संभावना है। शेख हसीना के विमान में रिफ्यूलिंग भी होगी। इसके बाद शेख हसीना का विमान भारत से रवाना हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, विमान में दूसरी बार रिफ्यूलिंग खाड़ी देशों में खासकर सऊदी अरब में होने की संभावना है। इसके बाद शेख हसीना के विमान के लंदन की ओर रवाना होंगी। अब हम देखेंगे कि किन मुद्दों ने बांग्लादेश को इस स्थिति में पहुंचाया और क्यों शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद और देश भी छोड़ना पड़ा।
हिंसा और नुकसान की स्थिति
बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हुए हैं। सोमवार को छात्रों ने ढाका में मार्च का आह्वान किया, जिसे कर्फ्यू के बावजूद आयोजित किया गया। इस दौरान, बख्तरबंद गाड़ियां और सैनिक सड़कों पर गश्त करते देखे गए, जबकि नागरिक गतिविधि कम रही।
देश में व्यापक नुकसान
स्थानीय मीडिया के अनुसार, ढाका में प्रधानमंत्री के महल पर हमला करने के बाद, शेख हसीना भारत जाने के लिए हेलीकॉप्टर में सवार हो गईं। इस दौरान, ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं, कार्यालयों को बंद कर दिया गया और रेलवे सेवाएं भी स्थगित कर दी गईं। हिंसा के कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं और 170 मिलियन लोगों के देश में 14 पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 94 लोगों की मौत हो गई।
क्यों शुरू हुआ प्रदर्शन
प्रदर्शन का कारण 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद बांग्लादेश में लागू की गई कोटा प्रणाली है, जिसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण था। इस कोटा प्रणाली की शुरुआत 1972 में शेख हसीना के पिता, प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान ने की थी। अक्टूबर 2018 में, हसीना ने छात्रों के विरोध के बाद सभी आरक्षणों को समाप्त करने पर सहमति जताई थी। हालांकि, जून 2023 में उच्च न्यायालय ने उस फैसले को पलटते हुए कोटा प्रणाली को बहाल कर दिया।
SC का आदेश और आरक्षण विवाद
हाल ही में, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए कोटा प्रणाली को वापस ले लिया और 93 प्रतिशत नौकरियों को योग्यता के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया। केवल 7 प्रतिशत नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए आरक्षित रखी गईं, जबकि पहले यह आंकड़ा 30 प्रतिशत था।
सरकार विरोधी आंदोलन का रूप लेना
आरक्षण हटाने की मांग से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब एक बड़े सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया है, जिसमें शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलन के दौरान कहा गया कि कोई भी टैक्स नहीं चुकाया जाएगा और सरकारी बिलों का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, सरकारी सचिवालय और कार्यालयों को बंद करने की अपील की गई है।