Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Nov, 2018 08:26 AM
छुट्टी पर भेजे गए सी.बी.आई. के निदेशक आलोक वर्मा को उस समय ‘पीस पैकेज’ की पेशकश की गई थी जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होनी शुरू हो गई थी। सबसे पहले उनके गुरु राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अक्तूबर के मध्य में किसी समय उनको पी.एम.ओ. में बुलाया...
नेशनल डेस्क: छुट्टी पर भेजे गए सी.बी.आई. के निदेशक आलोक वर्मा को उस समय ‘पीस पैकेज’ की पेशकश की गई थी जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होनी शुरू हो गई थी। सबसे पहले उनके गुरु राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अक्तूबर के मध्य में किसी समय उनको पी.एम.ओ. में बुलाया था। वर्मा इस बात को लेकर बहुत नाराज थे क्योंकि उनके नम्बर 2 अधिकारी राकेश अस्थाना ने सी.वी.सी. को एक पत्र भेजकर उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने हैदराबाद के एक व्यापारी सतीश सना से 2 करोड़ की रिश्वत ली है। वर्मा ने 16 अक्तूबर को अस्थाना के खिलाफ एक एफ.आई.आर. दर्ज करवाई कि उसने केस बंद कराने के लिए सना से रिश्वत ली थी।
अस्थाना मीट निर्यातक मोइन कुरैशी के मामले में सना के खिलाफ जांच कर रहे थे। अस्थाना के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज होने के बाद पी.एम.ओ. में भूकम्प-सा आ गया क्योंकि ऐसी किसी भी एफ.आई.आर. के परिणाम गम्भीर हो सकते हैं। डोभाल ने वर्मा को तुरंत बुलाया और उनकी बात को धैर्य से सुना। वर्मा इस बात को लेकर क्रोधित थे कि अस्थाना द्वारा सी.बी.आई. में उनको कैसे नीचा दिखाया गया और वह उनको सबक सिखाएंगे। डोभाल ने वर्मा को स्मरण करवाया कि उन्होंने ही उनको पुलिस कमिश्नर बनवाया था और यहां तक कि उन्होंने ही उन्हें सी.बी.आई. का निदेशक नियुक्त करवाया।
डोभाल ने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकार उनका ध्यान रखेगी मगर वर्मा कोई वायदा किए बिना ही वापस लौट गए। तब एक अन्य पुलिस अधिकारी ने सुलह कराने की कोशिश की। यह अधिकारी वर्मा का बैच मेट है। मौजूदा परिस्थितियों में वर्मा झुकने को तैयार नहीं। स्पष्ट है कि वर्मा ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा बना रखी है और सेवानिवृत्ति के बाद अपनी रणनीति बनाना चाहते हैं। वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद लेने की बजाय अपने जीवन में अस्थाना को सबक सिखाना चाहते हैं।