सातवीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार के सामने क्या हैं चुनौतियां?

Edited By Yaspal,Updated: 16 Nov, 2020 11:08 PM

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नीतीश कुमार ने सोमवार को 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नीतीश के साथ जेडीयू के पांच, भाजपा के 7 और हम-वीआईपी के कोटे से 1-1 मंत्री बनाया गया है। बिहार में सरकार गठन के साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के सामने जनता से किए...

नेशनल डेस्कः नीतीश कुमार ने सोमवार को 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नीतीश के साथ जेडीयू के पांच, भाजपा के 7 और हम-वीआईपी के कोटे से 1-1 मंत्री बनाया गया है। बिहार में सरकार गठन के साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के सामने जनता से किए गए वादों को पूरा करने की चुनौती है, खासकर भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए वादों को धरातल पर उतारने की, जिसके लिए भाजपा ने इस बार बिहार में दो डिप्टी सीएम बनाए हैं। 

क्या हैं नीतीश कुमार के सामने चुनौतियां?

भाजपा के साथ तालमेल बैठाना-
बिहार विधासनभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, आरजेडी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। चुनाव में आरजेडी को 75, जबकि बीजेपी को 74 सीटें मिली हैं। वहीं, जेडीयू को 43 सीटों पर ही जीत मिली है। ऐसे में पिछले कई वर्षों से जहां जेडीयू बिहार में भाजपा के बड़े भाई का रोल अदा कर रही थी, अब बाजी पलट गई है। अब बिहार में भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए भाजपा नेताओं और मंत्रियों से तालमेल बैठाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

सुशील मोदी का मंत्रिमंडल से बाहर होना- 
नीतीश कुमार के लिए इस बार के कार्यकाल में स्थितियां बिल्कुल बदली हुई हैं। एक ओर भाजपा जहां बड़े भाई की भूमिका है, तो वहीं, उनके सबसे करीबी और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का भाजपा ने पत्ता काट दिया है। सुशील मोदी की जगह भाजपा ने नए चेहरे, तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनाकर नीतीश की ताकत को कम करने की कोशिश की है। सुशील मोदी के रहते नीतीश ने कभी किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं किया था। नीतीश के साथ करीबी के चलते सुशील मोदी का पत्ता कटा है।

19 लाख रोजगार सृजित करना-
बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ओर से युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए 10 लाख नौकरियों का वादा किया गया था, जिसके जवाब में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में 19 लाख रोजगार देने का वादा किया। बिहार चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी का यह दांव एनडीए पर भारी पड़ता दिख रहा था, लेकिन भाजपा की ओर से 19 लाख रोजगार देने का वादा किया गया। हालांकि जेडीयू के घोषणा पत्र में इसका जिक्र नहीं किया गया है।

फ्री वैक्सीन वितरण-
कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है और वैक्सीन के जल्द से जल्द आने का इंतजार कर रहा है। चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सभी बिहारवासियों को फ्री कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने का वादा किया। हालांकि इसे लेकर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा था। विपक्ष ने कहा कि- जहां-जहां विधानसभा चुनाव होंगे, भाजपा क्या उन्हीं प्रदेशों में फ्री वैक्सीन देगी? दूसरे प्रदेशों को नहीं। नीतीश के सामने फ्री वैक्सीन वितरण करना भी बड़ी चुनौती के रूप में है।

7 निश्चय योजना-
 बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले 7 निश्चय योजना लॉन्च की थी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि जनता ने मौका दिया है तो जुबान की बजाए काम से बोलना चाहिए। हम काम में भरोसा रखते हैं। सात निश्चय योजना में -------सस्ता कर्ज, कॉलेजों में मुफ्त वाई-फाई, नौकरी ढूंढने के लिए 2 साल तक 1-1 हजार रुपए, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत 4 लाख तक का कर्ज शामिल है।

आत्मनिर्भर बिहार- 
बिहार चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की तर्ज पर ही बिहार को भी ‘आत्मनिर्भर बिहार’ बनाने पर जोर दिया था। पीएम ने कहा था कि अगर बिहार में एनडीए की सरकार बनती है तो अगले पांच साल में बिहार को ‘आत्मनिर्भर बिहार’ बनाएंगे। इसमें नए उद्योग धंधे, कृषि क्षेत्र में विकास, मतस्य पालन, कुक्कुट पालन जैसी कई योजनाएं हैं, जिनको इस पंचवर्षीय योजना में बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। नीतीश कुमार के सामने बड़ी चुनौती है कि इसे धरातल पर कैसे उतारा जाएगा।

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