ये भगौड़े अभी बाकी हैं! इंडिया मांगे 6 मोर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Sep, 2017 09:55 AM

when dawood ibrahim will be in custody of india

मुंबई बम कांड में अबु सलेम सहित कुल 4 लोगों को अलग-अलग सजा के ऐलान के बाद पूरे देश में यह चर्चा होने लगी है कि आखिरकार मास्टमाइंड दाऊद इब्राहिम सहित घटना में शामिल सभी 6 भगौड़े कब भारत के कब्जे में होंगे जो साल 1993 में हुई घटना के बाद से फरार चल...

नेशनल डैस्क: मुंबई बम कांड में अबु सलेम सहित कुल 4 लोगों को अलग-अलग सजा के ऐलान के बाद पूरे देश में यह चर्चा होने लगी है कि आखिरकार मास्टमाइंड दाऊद इब्राहिम सहित घटना में शामिल सभी 6 भगौड़े कब भारत के कब्जे में होंगे  जो साल 1993 में हुई घटना के बाद से फरार चल रहे हैं। आपको बताते हैं उन 6 दरिंदों के बारे में।

दाऊद इब्राहिम कासगर
कांस्टेबल का बेटा दाऊद 80 के दशक में तेजी से माफिया जगत में उभरा। दाऊद ने प्रतिद्वंद्वी माफियाओं को मात दी और अंडर-वल्र्ड की दुनिया को कॉर्पोरेट कल्चर प्रदान किया। साल 1998 में दाऊद ने भारत छोड़ दिया। इसके बाद वह ९ साल बाद 93 में मुबंई में हुए सीरियल ब्लास्ट के पीछे मुख्य मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया। इन धमाकों के पीछे धन का मुख्य स्रोत दाऊद ही था। फिलहाल दाऊद पाकिस्तान के कराची में रहता है और इस बात को पाक के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने भी स्वीकार किया है। 

इब्राहिम अब्दुल रज्जाक उर्फ टाइगर मेनन : कॉन्वैंट स्कूल में पढ़े टाइगर को पैसे की चाह अंडर-वल्र्ड की दुनिया में खींच लाई। पर साल 92 में हुए दंगों ने उसके विचारों को बदल दिया। इसी के बाद उसने मुंबई में सीरियल ब्लास्ट की योजना बनाई। अंडरवल्र्ड में अपने संबंधों के जरिए टाइगर पाकिस्तान चला गया।

मोहम्मद उमर अहमद दौसा: मुस्तफा दौसा का भाई उमर 93 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट का आरोपी है। उमर पर धमाकों में शामिल लोगों की दुबई में मीटिंग कराने का आरोप है। दौसा के एजैंटों के बड़े नैटवर्क की मदद से ही टाइगर मुंबई में धमाकों को अंजाम दे सका। मुस्तफा डौसा को मुंबई लाया गया और उसकी ट्रॉयल के दौरान ही मौत भी हो गई, लेकिन मोहम्मद उमर फिलहाल दुनिया के टॉप 3 हवाला ऑप्रेटरों में शामिल हो चुका है। सूत्रों की मानें, तो मोहम्मद की दुबाई में ज्वैलरी स्टोर की चेन है।

जावेद दाऊद टेलर उर्फ जावेद पटेल उर्फ चिकना: जावेद को मुंबई 92 दंगों में गोली लगी थी। अच्छी शक्लो सूरत के कारण उसका नाम चिकना पड़ गया। जावेद ने ही समुद्र तट से आर.डी.एक्स. ले जाने के लिए वाहनों का इंतजाम किया। साथ ही, धमाकों की जगहों की पहचान भी उसी ने की। धमाकों के समय तक जावेद मुंबई में ही था। बाद में वह दुबई चला गया। माना जाता है कि वह भी पाकिस्तान में ही है।

दाऊद फांसे: यह टाइगर मेनन का सबसे खास एजेंट था। दुबई में दाऊद के साथ मीटिंग करने के बाद दाऊद धमाकों में मदद करने को राजी हो गया। फांसे के आदमियों ने ही आर.डी.एक्स. को बोटों से उतारा और इसे मुंबई तक पहुंचाया।

शरीफ अब्दुल गफूर पारकर:  शरीफ को हथियार और गोला-बारूद से मदद करने का दोषी पाया गया। रायगढ़ का निवासी गफूर टाइगर के स्मगलिंग धंधे का हिस्सा था। 70 साल के गफूर के बेटे मुजीब को भी इन्हीं आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया है।

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