Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Aug, 2020 12:32 PM
पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की आज पहली बरसी है और नेता से लेकर आम लोग सभी उनको याद कर रहे हैं। सुषमा स्वराज का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उनको भूल पाना आसान नहीं है। सुषमा स्वराज शब्दों की इतनी धनी थी कि विपक्ष भी उनके आगे चुप हो जाता था।...
नेशनल डेस्कः पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की आज पहली बरसी है और नेता से लेकर आम लोग सभी उनको याद कर रहे हैं। सुषमा स्वराज का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उनको भूल पाना आसान नहीं है। सुषमा स्वराज शब्दों की इतनी धनी थी कि विपक्ष भी उनके आगे चुप हो जाता था। सुषमा अपनी बात इतनी मजबूती से रखती थी कि विपक्ष भी मेज थपथपाने में झिझक नहीं करता था। सुषमा स्वराज जितनी स्पष्टता से अपनी बात रखती थी उतना ही उनका चेहरा बोलता था। चेहरे पर हमेशा एक हल्की मुस्कान लिए सुषमा स्वराज कई बार बड़ी से बड़ी बात सहजता से कह जाती थीं। भाजपा के सभी नेता आज उनको अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजिल दे रहे हैं।
पूनम महाजन ने ऐसे किया याद
भाजपा की सांसद और युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम महाजन ने सुषमा स्वराज का एक पुराना वीडियो शेयर कर उनको याद किया। पूनम महाजन ने ट्वीट किया कि 'भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता, सारे भाजपा कार्यकर्त्ताओं के लिए मातृतुल्य व्यक्तित्व, आदरणीय सुषमा स्वराज जी को प्रथम स्मृतिदिन के अवसर पर विनम्र आदरांजली!' महाजन ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें सुषमा स्वराज मंच से संस्कृत की महिमा का बखान कर रही है। इसी दौरान उन्होंने मंच से शिव तांडव स्तोत्र भी सुनाया। जिस लय में उन्होंने स्त्रोत सुनाया उसे देख मंच पर बैठे कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य भी बेहद प्रसन्न और चकित दिख रहे थे। सुषमा स्वराज ने हालांकि शिव तांडव स्तोत्र एक हिस्सा ही पढ़ा लेकिन जिस स्पष्टता और से उन्होंने पंक्तियां पढ़ीं वो सुनकर वहां मौजूद लोगों ने तालियों बजाकर उनको शाबाशी दी।
तब सुषमा स्वराज ने संस्कृत का बखान करते हुए कहा था कि अगर मैं 5 साल के बच्चे के सामने केवल 2 श्लोक रखूं और कहूं कि बताऊं कौन-सा रावण ने रचा है और कौन-सा भगवान राम ने तो बच्चा आसानी से बता देगा कि डमड डमड डमड का श्लोक और नमामीशमीशान निर्वाण रुपं राम ने कहा होगा, ऐसी है संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता। 6 अगस्त, 2019 को सुषमा स्वराज ने दुनिया को अलविदा कहा था लेकिन आज भी वे लोगों के दिलों में जिंदा हैं। सुषमा के विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान उनकी सक्रियता की काफी तारीफ होती थी। वह भाजपा की दिग्गज नेता में शुमार थीं।