Election Diary: जब डकैतों ने लड़ा चुनाव और बन गए नेता जी

Edited By vasudha,Updated: 19 Mar, 2019 04:16 PM

when the dacoits became the leader

ज्यादा दिन नहीं हुए जब अभिनेत्री/मॉडल मल्लिका शेरावत ने एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था कि संसद में 80 फीसदी डकैत हैं। उनकी यह टिप्पणी सम्भवत: राजनेताओं के आपराधिक आचरण को लेकर थी जिसे जेनेरेलाइज करने पर हंगामा खड़ा हो गया था। बाद में मल्लिका...

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): ज्यादा दिन नहीं हुए जब अभिनेत्री/मॉडल मल्लिका शेरावत ने एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था कि संसद में 80 फीसदी डकैत हैं। उनकी यह टिप्पणी सम्भवत: राजनेताओं के आपराधिक आचरण को लेकर थी जिसे जेनेरेलाइज करने पर हंगामा खड़ा हो गया था। बाद में मल्लिका शेरावत ने अपने इस ब्यान के लिया माफ़ी मांग ली थी और मामला आया-गया हो गया था। खैर यह उनकी निजी भावनाएं थीं,लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश की सियासत में ऐसे  मौके अक्सर आये हैं जब किसी असली डाकू ने चुनाव लड़ा हो और संसद या विधानसभा में नेताजी बनकर कदम रखा हो। आज बात ऐसे ही डाकुओं की। यह सन 1984 की बात है। उस ज़माने की  दस्यु सुंदरी  फूलन देवी ने बन्दूक छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया। फूलन उत्तर प्रदेश  में बहमई गाँव के क़त्ल-ए-आम के बाद लगातार चर्चा में थीं। उन पर अपहरण /कत्ल के कई मामले  थे। इसलिए उनको शक था कि अगर उत्तर प्रदेश में समर्पण किया तो उन्हें शासन/प्रशासन मरवा भी सकता है। ऐसे में उन्होंने  मध्यप्रदेश की सरकार के समक्ष समर्पण का फैसला लिया। तय दिन उन्होंने मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने बन्दूक छोड़ दी। फूलन को उसके बाद जेल हुई और दस साल तक जेल में रहने के बाद वे 1994 में रिहा हुईं। 

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जेल से बाहर आते ही मिली नई भूमिका   
उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। 1993 में मुलायम सरकार ने फूलन के ऊपर लगे तमाम आरोप वापस ले लिए और फूलन के जेल से बाहर आने का रास्ता खुल गया। बाहर आते ही  उनके लिए नई भूमिका इंतज़ार कर  रही थी। समाजवादी पार्टी के निमंत्रण पर वे समाजवादी पार्टी में  शामिल हो गईं।  बाद में 1996 उन्होंने मिर्ज़ापुर सीट से एमपी का चुनाव लड़ा और 11  वीं लोकसभा के लिए चुनी भी गईं। दो साल बाद दोबारा हुए चुनाव में फूलन देवी हार गईं लेकिन 1999 के चुनाव में वे फिर चुनकर सांसद बनीं। इसी कार्यकाल के दौरान उनकी ह्त्या हो गयी। इस तरह से एक दस्यु सुंदरी का  सियासी सफर और जीवन दोनों विराम ले गए।
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फूलन की राह सीमा परिहार 
फूलन की तरह सीमा परिहार भी दस्यु सुंदरी थीं। सीमा परिहार ने भी बन्दूक छोड़ने के बाद फूलन देवी की राह पकड़ी थी। रिहा होने के बाद उन्होंने इंडियन जस्टिस पार्टी ज्वाइन की। सीमा परिहार ने उत्तर प्रदेश की भदोई सीट से चुनाव लड़ा और बहुत कम अंतर् से सीट हार गईं। इस तरह वे फूलन देवी की तरह सांसद बनने से चूक गईं। बीते बरसों में जब उन्हें रियल्टी शो बिग बॉस के लिए चुना गया था तो वे एक बार सुर्ख़ियों आ गयी थीं। वे सियासत में अभी भी सक्रिय हैं और चर्चा यह भी है कि सीमा इस बार भी चुनाव लड़ सकती हैं। 

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प्रेम सिंह भी तीन बार बने थे विधायक 
मध्य प्रदेश के खूंखार डाकू प्रेम सिंह भी बन्दूक और बीहड़ छोड़कर सियासी गलियारों में धाक जमाने  वाले डकैतों में प्रमुख हैं। किसी ज़माने में चंबल के बीहड़ों के एकछत्र डकैत रहे प्रेम सिंह को अर्जुन सिंह सामान्य और सियासी जिंदगी में लाये थे। बाद में प्रेम सिंह 1993, 1998  और 2013 में  चित्रकूट से विधायक रहे। प्रेम सिंह का लंबी बीमारी के बाद पिछले साल मई में निधन हो गया था।इसी तरह डाकू मलखान सिंह भी समर्पण करने के बाद अपनी पंचायत प्रधान चुने गए थे,जबकि डाकू मनोहर गुर्जर मध्य प्रदेश के भिंड जिला की मेहगांव नगरपालिका के अध्यक्ष बने थे।  

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