Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Apr, 2018 01:39 PM
उपसभापति एम. वेंकैया नायडू ने सभी पार्टी के नेताओं को तब स्तब्ध कर दिया जब वह राज्यसभा में प्रात:कालीन सदन की बैठक मिनटों के भीतर ही स्थगित करने के पश्चात अपने चैम्बर में पहुंचे। उन्होंने सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेतली को यह कह कर सनसनी...
नेशनल डेस्कः उपसभापति एम. वेंकैया नायडू ने सभी पार्टी के नेताओं को तब स्तब्ध कर दिया जब वह राज्यसभा में प्रात:कालीन सदन की बैठक मिनटों के भीतर ही स्थगित करने के पश्चात अपने चैम्बर में पहुंचे। उन्होंने सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेतली को यह कह कर सनसनी फैला दी कि वह सदन में अनुशासन को भंग नहीं होने देंगे तथा यदि नेता उनके सदन चलाने के इस ढंग से संतुष्ट नहीं हैं तो ‘‘वे नया सभापति चुनने को स्वतंत्र हैं।’’ जेतली एवं अन्य नेताओं ने नायडू को अनुरोध किया कि उन्हें उदार रहना चाहिए तथा मीटिंग को मिनटों में पूरा दिन के लिए स्थगित करने की बजाय सदस्यों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने की आज्ञा देनी चाहिए।
नेताओं ने नायडू को याद दिलाया कि वह स्वयं भी दशकों से इस प्रक्रिया का भाग रह चुके हैं तथा सांसदों द्वारा ऐसा शोर-शराबा एवं आक्रामक प्रश्नोत्तर लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक भाग है। परंतु नायडू ने उन्हें कहा, ‘‘हां, मैं इसका एक भाग रहा हूं और दशकों से इसे देखा है। परन्तु सदन को चलाने का यह तरीका नहीं है। सांसदों को सदन को सुचारू एवं अनुशासनात्मक ढंग से चलने देना चाहिए तथा एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए। यदि वे शोर मचाना चाहते हैं तो यह सदन वह जगह नहीं है। बाहर ऐसा करने के लिए वे स्वतंत्र हैं
। मैं इसकी आज्ञा नहीं दे सकता हूं और यदि आपको यह स्वीकार्य नहीं है तो आप एक बेहतर नया सभापति चुनने को स्वतंत्र हैं।’’ इससे एक गहरी चुप्पी छा गई और सभा समाप्त हो गई। तब से नायडू सांसदों के सभापति की कुर्सी तक आने के तत्काल पश्चात संसद को स्थगित कर देते हैं। जब कोई मामला प्रधानमंत्री एवं भाजपा प्रमुख अमित शाह के बीच विचाराधीन था, तो उन्होंने सांसदों को कुर्सी के बीच आने को रोक दिया।