Edited By vasudha,Updated: 07 Jul, 2019 11:03 AM
एक ओर देश में पानी के लिए संकट की स्थिति है, वहीं भारत पानी से पैदा होने वाली चीजों का निर्यात करने में अव्वल है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वाटर एक्सपोर्टर बना हुआ है। इस उत्पादन पर हर साल 95.4 अरब क्यूबिक मीटर पानी लगता है।...
नई दिल्ली: एक ओर देश में पानी के लिए संकट की स्थिति है, वहीं भारत पानी से पैदा होने वाली चीजों का निर्यात करने में अव्वल है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वाटर एक्सपोर्टर बना हुआ है। इस उत्पादन पर हर साल 95.4 अरब क्यूबिक मीटर पानी लगता है। यह भारत की घरेलू खपत 25 अरब क्यूबिक मीटर से कहीं ज्यादा है।
देश में पानी की हालत
- 21 शहरों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है।
- 2 लाख लोगों की मौत हर साल साफ पानी न मिलने से होती है।
गिर रही हैं कीमतें
पानी से पैदा होने वाली फसलों की दुनिया में कमी नहीं है और इनकी कीमतें लगातार गिर रही हैं। इसलिए इनके निर्यात से कोई बड़ा फायदा नहीं मिल रहा है। कपास की कीमतें पिछले साल 20 फीसदी गिरीं। चीनी की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों ने पिछले अगस्त में दशक के निचले स्तर को छुआ। भारत एक ऐसा देश हो गया है, जहां एक तिहाई आबादी शहरों में है और 90 फीसदी ताजा पानी कृषि क्षेत्र इस्तेमाल कर रहा है।
हमारे निर्यात
कृषि क्षेत्र में भारत चावल और कपास का बड़ा निर्यातक है। इन्हें पैदा करने में प्रतिकिलोग्राम ही हजारों लीटर पानी लगता है। इसके अलावा चीनी और मीट का आयात करते हैं, इन दोनों में भी काफी पानी खर्च होता है। फ्रोजन मीट में तो प्रतिकिलो ग्राम सबसे ज्यादा पानी खर्च होता है।
- 70 फीसदी भूजल का दोहन भारत का कृषि क्षेत्र करता है
- 60 फीसदी ताजा पानी ब्राजील में कृषि क्षेत्र को मिलता है
- 20 फीसदी कीमतें गिरी हैं दुनिया में कपास की।
- 95.4 अरब क्यूबिक मीटर पानी हर साल भारत खर्च करता है निर्यात उत्पादों के लिए।
- 90 फीसदी ताजा पानी चीन में कृषि क्षेत्र इस्तेमाल करता है।
भारत अपने उत्पादन का दस फीसदी चावल निर्यात करता है। थाईलैंड के साथ भारत दुनिया में सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। 2020 तक यह निर्यात 17.20 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।