मिशन 2019- महाराष्ट्रः आखिर क्यों झुका ‘शेर’?

Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Feb, 2019 08:32 AM

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आखिरकार शिवसेना व भाजपा के बीच बहुप्रतीक्षित गठबंधन हो ही गया लेकिन इस गठबंधन के बाद एक सवाल तो खड़ा हो ही गया कि आखिर ‘शेर’ क्यों झुका? शेर यानी उद्धव ठाकरे की कौन-सी ऐसी मजबूरी रही कि 5 साल भाजपा पर हमलावर

मुम्बई: आखिरकार शिवसेना व भाजपा के बीच बहुप्रतीक्षित गठबंधन हो ही गया लेकिन इस गठबंधन के बाद एक सवाल तो खड़ा हो ही गया कि आखिर ‘शेर’ क्यों झुका? शेर यानी उद्धव ठाकरे की कौन-सी ऐसी मजबूरी रही कि 5 साल भाजपा पर हमलावर रहने के बावजूद आखिरकार उसे फिर उसी भाजपा की गोद में बैठना पड़ा। थोड़ा पीछे जाएं तो इस सियासी सरैंडर की बड़ी वजह खुद-ब-खुद ही दिख जाएगी। लोकसभा चुनावों के बाद जब विधानसभा चुनावों की बारी आई तो उद्धव के सी.एम. बनने के मोह के चलते दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हुआ। जब चुनावी नतीजे आए तो वे शिवसेना को भौंचक्का कर देने वाले थे। बड़े भाई की भूमिका का रोल मांग रही शिवसेना इस चुनाव में 19 फीसदी वोट शेयर के साथ मात्र 63 सीटें ही जीत सकी जबकि भाजपा ने दमदार प्रदर्शन कर 28 फीसदी वोट शेयर के साथ 122 सीटों पर अपना परचम लहराया।

उसके बाद शिवसेना को यह एहसास बखूबी हो गया था कि अब उसकी हैसियत राज्य में बड़े भाई की नहीं रही। अपने घटे जनाधार के चलते ही उसने भाजपा के सी.एम. की छत्रछाया में रहना कबूल किया लेकिन शिवसेना ने गाहे-बगाहे भाजपा सरकार पर हमले जारी रखे ताकि सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी के चलते वह अपने जनाधार को बढ़ा सके पर यहां भी शिवसेना का यह दाव उलटा पड़ा। विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में जितने भी चुनाव हुए चाहे वे मुम्बई नगर निगम के हों या विधानसभा व लोकसभा उपचुनाव, हर बार भाजपा ने उसे तगड़ी पटखनी दी जिसके चलते उद्धव को यह एहसास बखूबी हो गया कि बिना भाजपा के उसका गुजारा नहीं होगा। यही नहीं, उद्धव ने पार्टी स्तर पर जो सर्वे करवाया उसमें जो नतीजे आए उन्होंने पार्टी को भाजपा से गठबंधन के लिए मजबूर कर दिया। कई टी.वी. चैनलों के सर्वे में भी अकेले लडऩे की सूरत में शिवसेना को भारी नुक्सान की भविष्यवाणी की गई है। कुल मिलाकर भाजपा से शिवसेना का गठबंधन किसी राजधर्म या राष्ट्रधर्म के चलते नहीं बल्कि केवल और केवल पार्टी के अस्तित्व को बचाने का प्रयास भर है।


समझौते पर दोनों दलों के अपने-अपने तर्क
सी.एम. पद सांझा करने की शर्त पर हुआ गठबंधन : शिवसेना

शिवसेना के मंत्री रामदास कदम ने कहा कि सी.एम. पद सांझा करने का समझौता होने के बाद उनकी पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है। नेता ने कहा कि यदि भाजपा अपने वादे को पूरा नहीं करना चाहती तो वह फौरन ही चुनाव पूर्व गठबंधन तोडऩे के लिए स्वतंत्र है।


जो पार्टी ज्यादा सीटें जीतेगी उसी का बनेगा सी.एम.: भाजपा
इसके उलट राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि भाजपा का यह रुख है कि ज्यादा संख्या में सीटें जीतने वाली पार्टी को ही मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। हम विधानसभा चुनाव में बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने शिवसेना के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में वोटों का एक हिस्सा सुरक्षित करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है।

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