आखिर क्यों इंसान के लिए सार्स से भी ज्यादा खतरनाक है कोरोना वायरस?

Edited By Chandan,Updated: 08 Apr, 2020 08:06 PM

why corona virus more dangerous for humans than sars study

इस बीमारी से दुनिया को कितना खतरा है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस खरतनाक वायरस का कोई इलाज अब तक मिल सका है। यानी कई शोधों के बाद भी इस बीमारी को पकड़ पाना संभव नहीं हो पाया है।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने दुनिया के सभी देशों में कोहराम मचा रखा है। हर रोज कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वैज्ञानिक, डॉक्टर परेशान हैं कि आखिर क्यों और कब तक कोरोना अपनी दहशत फैलाएगा।

इस बीमारी से दुनिया को कितना खतरा है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस खरतनाक वायरस का कोई इलाज अब तक मिल सका है। यानी कई शोधों के बाद भी इस बीमारी को पकड़ पाना संभव नहीं हो पाया है। हालांकि कुछ पुरानी दवाएं सामने आई हैं जो कोरोना के संक्रमण को कम कर सकती है लेकिन ठीक होने का दावा वो भी नहीं करती हैं।

सार्स vs कोरोना
इस बीच साइंटिफिक रिसर्च मैगज़ीन नेचर ने अपने हालिया अंक में एक स्टडी को प्रकाशित किया है। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह बताने की कोशिश की है कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोना वायरस, सार्स वायरस का ही स्ट्रोंग रूप है, इसलिए इसे सार्स कोवा-2 का नाम दिया है।

दोनों में समानता
इस शोध में यह बताया गया है कि सार्स और कोरोना दोनों ही एक दूसरे के समांतर रूप हैं और दोनों में काफी समानता है। सार्स और कोरोना दोनों ही पानी के सबसे महीन कण जिसे अतिसूक्ष्म भी कहते हैं के सहारे फैलता है। ये दोनों ही वायरस व्यक्ति के फेफड़ों में संक्रमण फैलाता है। जिससे व्यक्ति को सांस लेने जैसी समस्याएं होती हैं। ये दोनों ही चीन से आए और चमगादड़ के शरीर से आदमी के शरीर तक पहुंचने वाले वायरस है।

एक सबसे बड़ा अंतर
सार्स और कोरोना में एक अंतर है जो कोरोना को सार्स से कहीं ज्यादा स्ट्रोंग, शक्तिशाली और खतरनाक बनाता है। ये अंतर है दोनों के फैलाव का और शरीर में टारगेट बना कर फैलने का। सार्स वायरस सांस नली के सहारे शरीर में घुसकर सीधे फेफड़ों की कोशिकाओं पर हमला करता था। जिसके बाद व्यक्ति में सर्दी-जुकाम-खांसी, बुखार आदि जैसे लक्षण दिखने लगते थे और वो आसानी से पहचान में आ जाता था जिससे उसको जल्द इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता था।

क्योंकि सार्स के मरीज पहले ही पहचान लिए जाते थे इसलिए सार्स को जल्द खत्म भी कर दिया गया। लेकिन कोरोना वायरस को पहचानना आसान नहीं होता और यही इसके सबसे खतरनाक का कारण है।

कोरोना है खतरनाक
कोरोना वायरस सांस नली के सहारे फेफड़ों में नहीं जाता बल्कि ये व्यक्ति के गले के पास की नली में रुक जाता है और यहीं रह कर कोशिकाओं में अपनी संख्या बढ़ाता है। इसके बाद जब इसकी संख्या बढ़ जाती तब यह फेफड़ों तक पहुंचता है और तब व्यक्ति में सूखी खांसी-जकड़न और बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं।

कोरोना का गले से फेफड़े तक पहुंचने का समय 6 से 7 दिन का है और यही समय व्यक्ति को कोरोना की चपेट में ले लेता है। कोरोना के लक्षण देरी से नजर आना ही इसका सबसे खतरनाक होना है। यही वजह है कि कोरोना सार्स से कहीं ज्यादा खतरनाक है और तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!