किसान आंदोलन: स्वामीनाथन की सिफारिशें क्यों नहीं लागू करती सरकार

Edited By kamal,Updated: 02 Jun, 2018 03:11 PM

why does swaminathan s recommendations not apply

अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे किसान स्वामीनाथन की सिफारशें लागू ना करने के चलते केंद्र सरकार से नाराज हैं। पिछले कई सालों से देश के विभिन्न दल किसानों के हित के लिए आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन, किसी भी राजनीतिक दल ने सत्ता में रहते हुए किसानों के...

भोपाल (कमल वधावन) : अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे किसान स्वामीनाथन की सिफारशें लागू ना करने के चलते केंद्र सरकार से नाराज हैं। पिछले कई सालों से देश के विभिन्न राजनीतिक दल किसानों के हित के लिए आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन, किसी भी राजनीतिक दल ने सत्ता में रहते हुए किसानों के हितों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। ऐसे में अब किसान संगठन केंद्र सरकार से दो हाथ करने के मूड में हैं। मप्र में पिछले साल हुए आंदोलन के दौरान छह किसानों की मौत हो जाने से शिवराज सरकार किसानों के इस आंदोलन से काफी डरी हुई दिख रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का भी किसान आंदोलन में हिस्सा लेना लगभग तय माना जा रहा है।
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किसान आंदोलन के दूसरे दिन हड़ताल बेअसर ही दिखाई दी। हालांकि, आंदोलनकारियों ने गांवों से शहरों में जाने वाले अनाज और सब्जियों की आपूर्ति रोकने की बात की थी। देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन को लेकर सड़कों पर रोष प्रदर्शन देखने को मिले। किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जाएं। बता दें कि सरकार ने साल 2004 में स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था। लेकिन, पिछले आठ सालों से इस रिपोर्ट को हाशिए पर सरकाया हुआ है
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कौन है स्वामीनाथन ?
प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित कर उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए।

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट
स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग बनाया गया। कमेटी ने अक्टूबर 2006 में अपनी रिपोर्ट दे दी। लेकिन, इसे अब तक कहीं भी सही तरीके से लागू नहीं किया गया है। दो सालों में इस कमेटी ने छह रिपोर्ट तैयार कीं। इसमें 'तेज और संयुक्त विकास' को लेकर सिफारिशें की गईं थी। इन सिफारिशों में किसानों के हालात सुधारने से लेकर कृषि को बढ़ावा देने की सलाह दी गई थी। इन्हीं सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर किसानों ने मंदसौर में हिंसक आंदोलन किया था। मुंबई में धरने पर बैठने वाले किसानों की भी यही मांगें थीं। अब आठ राज्य के किसान भी यही चाहते हैं।

क्या हैं आयोग की सिफारिशें ?
स्वामीनाथन आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजते हुए सरकार से सिफारिश की थी कि फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज्यादा दाम किसानों को मिले। सिफारिश की गई कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज कम दामों में मुहैया करवाए जाएं। गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए। महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं। किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके। इतना ही नहीं सरप्लस और इस्तेमाल नहीं हो रही ज़मीन के टुकड़ों का वितरण किया जाए। खेतीहर जमीन और वनभूमि को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कॉरपोरेट को न दिया जाए। फसल बीमा की सुविधा पूरे देश में हर फसल के लिए मिले। खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था हर गरीब और जरूरतमंद तक पहुंचे। सरकार की मदद से किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर कम करके चार फीसदी किया जाए।

हालांकि आमतौर पर ये सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं। सरकारों का यही कहना रहा है कि उन्होंने इसे लागू कर दिया है। लेकिन हकीकत ये है कि इसमें पूरे तरीके से क्रियान्वित नहीं किया गया है। यही कारण है कि आज किसान देशभर में आंदोलन की राह पर हैं।

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