ऑफ द रिकॉर्ड: निर्मला सीतारमण को क्यों बनाया गया वित्त मंत्री?

Edited By Pardeep,Updated: 02 Jun, 2019 03:58 AM

why is nirmala sitharaman made a finance minister

राजनीतिक पर्यवेक्षक और मोदी के करीबी भी इस रहस्य को समझने में असमर्थ रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा के लिए पहली बार चुनी गई सांसद निर्मला सीतारमण को देश का वित्त मंत्री क्यों नियुक्त किया है? विभागों के वितरण की घोषणा तक यह विश्वास किया जाता रहा...

नेशनल डेस्क: राजनीतिक पर्यवेक्षक और मोदी के करीबी भी इस रहस्य को समझने में असमर्थ रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा के लिए पहली बार चुनी गई सांसद निर्मला सीतारमण को देश का वित्त मंत्री क्यों नियुक्त किया है? विभागों के वितरण की घोषणा तक यह विश्वास किया जाता रहा कि अमित शाह देश के वित्त मंत्री होंगे और राजनाथ सिंह को उनके गृह मंत्रालय से हटाया नहीं जाएगा लेकिन 31 मई की दोपहर को उस समय सभी हैरान रह गए जब सीतारमण को नॉर्थ ब्लॉक में लाया गया और राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय में भेजा गया। ऐसा क्यों हुआ किसी को मालूम नहीं। 
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सीतारमण की वाणिज्य और रक्षा मंत्रालय में कारगुजारी अभी तक अपरिचित है। एक सशक्त वक्ता होने के अलावा उनके पास कोई खास उपलब्धि नहीं। उन्होंने लंदन की रिजैंट स्ट्रीट में एक ‘होम डैकर’ स्टोर में सेल्सपर्सन के रूप में काम किया और बाद में ब्रिटेन में कृषि इंजीनियर एसोसिएशन में अर्थशास्त्री की सहायक के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने एक प्राइस वाटर हाऊस में मैनेजर (आर. एंड डी.) के रूप में काम किया। उन्होंने बी.बी.सी. वर्ल्ड सर्विस के साथ भी कुछ समय काम किया। बाद में लंदन से वह भारत लौट आईं। 
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सीतारमण हैदराबाद में अपने पति के साथ रहने की बजाय दिल्ली में ही रहने लगीं। यही समय था जब सीतारमण भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के सम्पर्क में आईं जिन्होंने उनको राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनवा दिया। 2004 में वाजपेयी सरकार के पतन के साथ ही निर्मला की नौकरी भी चली गई। 2008 में वह औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुईं और सुषमा ने उनको पार्टी का प्रवक्ता बनवा दिया। उस समय अरुण जेतली भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के इंचार्ज थे। उन्होंने पाया कि सीतारमण एक शक्तिशाली प्रवक्ता बन सकती हैं और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ है।
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कुछ ही वर्षों में निर्मला ने पाला बदल लिया और जेतली कैंप में शामिल हो गईं। भाजपा तब 2 कैंपों में बंटी हुई थी। जेतली और सुषमा कैंप, क्योंकि दोनों ही अडवानी के उत्तराधिकारी के रूप में पी.एम. पद के लिए दावेदार बने हुए थे। जब जेतली ने पाया कि वह सुषमा का मुकाबला नहीं कर सकते तो उन्होंने बड़े स्तर पर नरेन्द्र मोदी को बढ़ावा देना शुरू कर दिया और आर.एस.एस. को भी इस बात के लिए राजी किया कि वह उनकी बात को माने। 
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2014 में निर्मला सीतारमण नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं मगर उन्हें टिकट नहीं मिला। मई 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद जेतली ने सीधे तौर पर उनका सरकार में प्रवेश यकीनी बना दिया और वित्त मंत्रालय में कनिष्ठ मंत्री बनवा दिया। उन्हें स्वतंत्र प्रभार का कॉमर्स विभाग दिया गया। सितम्बर 2017 में उनको रक्षा मंत्री बनाया गया क्योंकि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर मुख्यमंत्री के रूप में गोवा चले गए थे। 31 मई को जब सीतारमण को वित्त और कॉर्पोरेट मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया तो सभी हैरान रह गए। 
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अब यह चर्चा जोरों पर है कि सीतारमण को वित्त मंत्री इसलिए बनाया गया है क्योंकि जेतली बीमार हैं और पूरी तरह से तंदुरुस्त होने में उन्हें एक वर्ष लग सकता है। अगर जेतली पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं तो उन्हें वित्त मंत्रालय में वापस लाया जाएगा इसलिए मोदी ने सीतारमण को वित्त मंत्री बना दिया और जेतली के वापस लौटने पर किसी शोर-शराबे के बिना सीतारमण को कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है।

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