इन 11 कारणों से जानिए, आखिर राहुल के ‘हाथ’ से क्यों फिसला कर्नाटक?

Edited By Seema Sharma,Updated: 16 May, 2018 11:07 AM

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई है। कांग्रेस ने भी इस हार को मान लिया है लेकिन राहुल की अगुवाई में कांग्रेस का जीतना बहुत जरूरी था क्योंकि इसके नतीजों का असर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित लोकसभा के चुनाव में भी पडऩा तय है। इस...

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई है। कांग्रेस ने भी इस हार को मान लिया है लेकिन राहुल की अगुवाई में कांग्रेस का जीतना बहुत जरूरी था क्योंकि इसके नतीजों का असर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित लोकसभा के चुनाव में भी पडऩा तय है। इस चुनाव के बाद भाजपा निश्चित तौर पर दक्षिण में और मजबूती हासिल करेगी। कांग्रेस का कोई भी दाव कर्नाटक में कारगर साबित नहीं हुआ।

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  • कर्नाटक में कांग्रेस 5 साल सत्ता में रही लेकिन भाजपा के मुकाबले उसने पार्टी के कैडर को मजबूत करने के लिए कोई काम नहीं किया।
     
  • कांग्रेस के पास राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई ऐसी आर्थिक नीति नहीं है जिससे लगे कि वह भाजपा से अलग है। एक ओर जहां आधार को लेकर लोग परेशान हैं वहीं कांग्रेस यह फैसला नहीं कर पाई कि उसका विरोध करना है या नहीं। वहीं पी.एम. मोदी ने हर रैली में आधार के दम पर भ्रष्टाचार मिटाने की बात की।
     
  • चुनाव से पहले सी.एम. सिद्धरमैया ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश कर दी थी। लिंगायत परंपरागत तौर पर भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। सिद्धरमैया के इस दाव ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया था लेकिन बाद में भाजपा ने इसको हिंदुओं को बांटने के मुद्दे में बदल दिया।
     
  • कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी प्रभाव नहीं डाल पाए हैं। वह इस चुनाव में पी.एम. मोदी पर सीधा हमला बोलते नजर आए लेकिन मोदी ने रणनीति के तहत उनके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।
     
  • चुनाव में कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। ग्रामीण इलाकों में मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया है।
     
  • कांग्रेस राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं कर पाई। शुरू में माना जा रहा था कि मोदी सरकार भी यहां पर सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं कर पाएगी लेकिन भाजपा ने इसका असर नहीं पडऩे दिया।
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  • इस चुनाव में जद (एस) मजबूत होकर उभरी है। कांग्रेस के हिस्से में पडऩे वाले वोट जद (एस) के पाले में गए हैं।
     
  • भाजपा में बी.एस. येद्दियुरप्पा की वापसी का फायदा भाजपा को मिला है। साल 2013 में येद्दियुरप्पा ने अलग पार्टी बनाकर भाजपा का काफी नुक्सान किया था। येद्दियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं।
     
  • भाजपा ने बी.एस. येद्दियुरप्पा को सी.एम. पद का प्रत्याशी बना दिया जबकि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही जेल जा चुके हैं लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस इसको मुद्दा नहीं बना पाई।
     
  • गवर्नैंस के मुद्दे पर भी सिद्धरमैया सरकार का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। कर्नाटक के कई बड़े शहरों में हालत खराब है।
     
  • भाजपा की चुनावी मशीन ने एक बार फिर से सफल अभियान चलाया और पार्टी को जीत दिला दी। अमित शाह की टीम ने कांग्रेस की ओर से उठाए गए हर मुद्दे पर पर्दा डाल दिया। वहीं हर चुनाव की तरह इसमें भी भाजपा का बूथ मैनेजमैंट कारगर साबित हुआ और कांग्रेस इस मामले में काफी पीछे रही।      
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