ऑफ द रिकॉर्डः ED जल्दबाजी में क्यों!

Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Aug, 2018 11:55 AM

why the ed in haste

एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) इन दिनों बहुत जल्दबाजी में दिखाई देता है और वह लैफ्ट-राइट और सैंटर हर जगह आरोप पत्र दाखिल कर रहा है। रोचक बात यह है कि ई.डी. जल्दबाजी में है जबकि सी.बी.आई. धीमी गति से चल रही है, जिस संबंध में ताजा उदाहरण है कि...

नेशनल डेस्कः एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) इन दिनों बहुत जल्दबाजी में दिखाई देता है और वह लैफ्ट-राइट और सैंटर हर जगह आरोप पत्र दाखिल कर रहा है। रोचक बात यह है कि ई.डी. जल्दबाजी में है जबकि सी.बी.आई. धीमी गति से चल रही है, जिस संबंध में ताजा उदाहरण है कि ई.डी. ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के खिलाफ गुजरात के संदेसारा ब्रदर्स की फर्म स्टरलाइट बायोटैक्स से अघोषित 25 लाख रुपए प्राप्त करने के लिए आरोप पत्र दाखिल किया है। ई.डी. ने पी.एम.एल.ए. की धारा 50 के तहत एक व्यक्ति रंजीत ठाकुर का बयान दर्ज किया है जहां उसने अहमद पटेल के निवास पर 25 लाख रुपए का पैकेट देने की बात कबूल की है। उसने यह भी स्वीकार किया कि वह निजी तौर पर पटेल से नहीं मिला और उनके निवास पर पैकेज डिलीवर किया था।

कानून के तहत इसे एक सबूत समझा जा सकता है मगर कानून का कहना है कि ई.डी. तब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकता जब तक सी.बी.आई. उक्त मामले में अपना आरोप पत्र दाखिल नहीं करती। पी.एम.एल.ए. में कहा गया है कि ई.डी. किसी आपराधिक एजैंसी या पुलिस/सी.बी.आई. द्वारा दायर किए गए मामले को देखने के बाद ही आगे कार्रवाई कर सकती है लेकिन सी.बी.आई. इस मामले की खुद जांच कर रही है और अधिक सबूत ढूंढने में लगी हुई है।

अब ई.डी. ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और अदालत इसको नहीं ले सकती। सूत्रों का कहना है कि ऐसा अहमद पटेल और अन्य कांग्रेसी नेताओं को भयभीत करने के लिए किया गया है। दूसरा यह है कि अवैध रूप से धन प्राप्त करने वाले 70 लोगों के नाम डायरियों में दर्ज हैं मगर ई.डी. ने केवल पटेल के खिलाफ ही आरोप पत्र दाखिल करना पसंद किया है।

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