ऑफ द रिकॉर्डः सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर क्यों भेजा गया?

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Aug, 2018 11:26 AM

why was satyapal malik sent to jammu and kashmir

दशकों से सत्यपाल मलिक को जानने वालों का कहना है कि वह राजनीतिक माहौल के अनुसार काम करते हैं। मलिक ने ही 1978 में कांग्रेस के साथ वार्ता की थी कि उसे प्रधानमंत्री पद के लिए चरण सिंह चौधरी का समर्थन करना चाहिए। मोरार जी देसाई सरकार में चरण सिंह गृह...

नेशनल डेस्कः दशकों से सत्यपाल मलिक को जानने वालों का कहना है कि वह राजनीतिक माहौल के अनुसार काम करते हैं। मलिक ने ही 1978 में कांग्रेस के साथ वार्ता की थी कि उसे प्रधानमंत्री पद के लिए चरण सिंह चौधरी का समर्थन करना चाहिए। मोरार जी देसाई सरकार में चरण सिंह गृह मंत्री थे। मलिक तब चौधरी साहब के बहुत करीबी थे क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में बड़ौत से संबंध रखते थे। अंतत: इंदिरा गांधी इस बात पर राजी हो गई और मोरार जी देसाई सरकार का पतन हो गया तथा चरण सिंह प्रधानमंत्री बन गए। बाद में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और चरण सिंह से सत्ता छिन गई। मगर कांग्रेस ने सत्यपाल मलिक को 1980 में राज्यसभा का टिकट देकर खुश किया।
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राजीव गांधी ने 1986 में उन्हें फिर राज्यसभा में मनोनीत करवाया क्योंकि मलिक ने 1979 में चरण सिंह को ‘मूर्ख’ बनाने में कांग्रेस की मदद की थी जिन्होंने पार्टी और अपनी सरकार को तोड़ा था। मगर मलिक ने राजीव गांधी का साथ छोड़ दिया और वी.पी. सिंह से हाथ मिला लिया तथा उन्होंने मुफ्ती मोहम्मद सईद से मुलाकात की जो गृहमंत्री बने थे। मलिक को भी मंत्री बनाया गया। दोनों बहुत करीबी थे। दोनों की मित्रता काफी गहरी थी। बाद में मलिक ने समाजवादी पार्टी का हाथ थामा। कुछ समय बाद वह भाजपा में चले गए। उन्होंने भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा, मगर हार गए। वह 12 साल तक भाजपा में खामोश रहे।
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अचानक ही अमित शाह ने मलिक को प्रोत्साहन देने का फैसला किया और प्रधानमंत्री मोदी से सिफारिश की कि उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया जाए। मलिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत करीबी हैं। ऐसी चर्चा है कि मलिक ने ही नीतीश कुमार को इस बात के लिए राजी किया कि वह मोदी के साथ अपने मतभेद दूर करें और भाजपा के साथ हाथ मिला लें। अंतत: उन्होंने ऐसा ही किया। अब मलिक महबूब मुफ्ती या फारूक अब्दुल्ला और घाटी के अन्य नेताओं से हाथ मिलाकर स्थिति सामान्य बनाकर राज्य में लोकप्रिय सरकार का गठन करेंगे। वह निजी तौर पर हर व्यक्ति को करीब से जानते हैं। मोदी के तहत बिहार में नियुक्त हुए राज्यपालों की प्रगति ने राजनीतिक पंडितों को हैरान किया है। इससे पूर्व रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल रहे और वह भारत के राष्ट्रपति बन गए। अब मलिक के सितारे भी चमक रहे हैं।

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